Punjab Stubble Burning Case Decreased: मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार की तरफ से धान की पराली जलाने (Stubble Burning) के विरुद्ध चलाई जोरदार मुहिम के परिणामस्वरूप राज्य में बीते साल के मुकाबले इस बार पराली को आग लगाने की घटनाओं में कमी आई है. चंडीगढ़ में विज्ञान प्रौद्यौगिकी और वातावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर (Gurmeet Singh Meet Hair) ने बताया कि पंजाब रिमोट सैसिंग सैंटर के आंकड़ों के मुताबिक 15 सितम्बर से 17 अक्तूबर 2022 तक राज्य भर में पराली जलाने की 1847 घटनाए दर्ज की गई हैं. जबकि साल 2021 और 2020 में इसी समय में 2389 और 5562 मामले सामने आए थे.


इस दौरान कैबिनेट मंत्री ने कहा कि बहुत से जिलों में पराली जलाने के मामूली मामले दर्ज किये गए हैं. उन्होंने बताया कि रूपनगर और पठानकोट जिलों में आग लगने की कोई भी घटना सामने नहीं आई. उन्होंने आगे कहा कि एस.बी.एस. नगर और होशियारपुर में दो-दो घटनाएं घटीं हैं जबकि श्री मुक्तसर साहिब और बठिंडा में आग लगने की सिर्फ तीन-तीन घटनाएं ही घटीं. इसी तरह मानसा, बरनाला, फरीदकोट और एस.ए.एस. नगर जिलों में अब तक आग लगने की 10 से कम घटनाएं घटीं हैं.


मीत हेयर ने कहा कि इन आंकड़ों से सिद्ध होता है कि पंजाब सरकार की पराली जलाने विरोधी मुहिम और इसकी रोकथाम के लिए सरकार के वातावरण समर्थकी प्रयासों को किसानों ने सकारात्मक समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने किसानों को पराली का योग्य ढंग से निपटारा करने के लिए 90422 खेती मशीनें मुहैया करवाई जबकि इस साल किसानों को 31000 और मशीनें दी जा रही हैं. वातावरण मंत्री ने आगे बताया कि पराली को आग लगाने की घटनाओं में कमी आने के कारण बीते साल की अपेक्षा पंजाब की हवा का गुणवत्ता सूचक (AQI) भी सुधरा है.


इस साल पंजाब का गुणवत्ता सूचक 93 है जबकि बीते साल इस समय के दौरान 116 था. बता दें कि कि 0-50 के बीच के एक्यूआई को बेहतर माना जाता है, 51-100 के बीच संतुष्टीजनक, 101-200 के बीच सामान्य, 201- 300 के बीच खराब, 301-400 के बीच बहुत खराब और 401-500 के बीच बेहद गंभीर माना जाता है.


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