Ludhiana Man Return From Lebanon: गुरतेज सिंह पंजाब में अपने परिवार के भविष्य के लिए बेहतर आजीविका कमाने के लिए जब लेबनान गए थे, तो उन्हें शायद ही पता होगा कि अपने परिवार से मिलने के लिए 23 साल तक इंतजार करना पड़ेगा. लुधियाना जिले के मत्तेवाड़ा गांव के मूल निवासी सिंह 2001 में अपने गांव के पांच-छह लोगों के साथ लेबनान चले गए थे. 2006 में लेबनान में युद्ध छिड़ने के बाद बाकी लोग घर लौट आए, लेकिन सिंह पासपोर्ट खो जाने के कारण वहीं फंस गए.


अब 55 साल के हो चुके गुरतेज सिंह ने कहा, “अपने परिवार को बेहतर जीवन देने के लिए 2001 में काम के लिए लेबनान गया था.” उन्होंने शनिवार (21 सितंबर) को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “(जब युद्ध छिड़ा) मैं भी भारत लौटना चाहता था. मैं कई बार भारतीय दूतावास गया, लेकिन मुझे (डुप्लीकेट पासपोर्ट हासिल करने के लिए) कुछ सबूत पेश करने को कहा गया.’’






बलबीर सिंह सीचेवाल ने उठाया था मुद्दा
‘आप’ के राज्यसभा सदस्य बलबीर सिंह सीचेवाल द्वारा विदेश मंत्रालय के समक्ष यह मुद्दा उठाए जाने के बाद वह अंततः छह सितंबर को भारत लौट आए. सांसद बलबीर सीचेवाल ने कहा कि उन्होंने इस मामले को संबंधित अधिकारियों के समक्ष उठाया, जिसके बाद सिंह को खोए हुए पासपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराई गई और वह अंततः वापस लौट सके.


परिवार ने भी उनकी वापसी की की थी कोशिश 
गुरतेज सिंह ने स्वीकार किया कि पासपोर्ट खो जाने के कारण उन्हें पकड़े जाने का निरंतर भय बना रहता था. उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा लगता था कि पासपोर्ट न होने की स्थिति में वह भारत कैसे लौटेंगे. भारत में उनके परिवार ने भी उनकी वापसी की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.


पहले वह लुधियाना में करते थे काम
उन्होंने ने कहा कि ‘डुप्लीकेट’ पासपोर्ट न मिलने पर उन्हें लगता था कि शायद वह अपने परिवार से कभी नहीं मिल पाएंगे. गुरतेज सिंह कहा, ‘‘मैं सोचता था कि मैं भारत कैसे वापस जाऊंगा. वह लेबनान में सब्जी के खेत में मजदूर के रूप में काम करते थे. लेबनान जाने से पहले वह लुधियाना में स्वेटर बनाने वाली एक फैक्टरी में कार्यरत थे.


सिंह ने बताया कि जब वह लेबनान गए थे, तब उनका बड़ा बेटा छह साल जबकि छोटा बेटा तीन साल का था. अब मेरे बड़े बेटे का छह साल का एक बेटा है.  उनके छोटे बेटे की अभी शादी नहीं हुई है.


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