Haryana News: दिल्ली से सटे साइबर सिटी गुरुग्राम में बिल्डर द्वारा घामडोज के किसान की जमीन हथियाने के आरोप को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने मंगलवार ( 13 अगस्त) को सोहना टोल टैक्स का घेराव कर नारेबाजी की. भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान भी सोहना टोल टैक्स पर किसानों के समर्थन में पहुंचे.


इस दौरान उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसानों के साथ फिर गलत हुआ, तो आर पार की लड़ाई के लिए प्रदेश सरकार तैयार रहे. वहीं इसकी सूचना मिलते ही भारी संख्या में पुलिस बल टोल टैक्स पर पहुंचा. इसके बाद बातचीत के बाद किसान ज्ञापन लेकर उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और वहां भी नारेबाजी की.


उपायुक्त के चंडीगढ़ होने पर एसडीएम सोनू भट्ट ने किसानों से ज्ञापन लिया और भरोसा दिया कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा. इस ज्ञापन के माध्यम से रतन मान ने कहा कि किसान की जमीन को बिल्डर ने मुकदमा के माध्यम से छीनने का अवैध प्रयास किया है. इसके साथ ही किसान ने जो केस दर्ज कराया वो पुलिस ने रद्द कर दिया और उल्टा किसान के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज कर दिए, जो बिलकुल गलत है.


ज्ञापन में गुरुग्राम के घामडोज जमीन मामले में भारतीय किसान यूनियन ने आंदोलन की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि अगर पीड़ित किसान को न्याय नहीं मिला तो भारतीय किसान यूनियन आंदोलन करने को मजबूर होगी. वहीं आंदोलन में जो भी क्षति होगी उसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.


क्या है पूरा मामला?
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने मीडिया से कहा कि घामडोज सोहना निवासी सुशील कुमार पुत्र अजीत सिंह की जमीन यशदीप बिल्डर द्वारा हड़पने का प्रयास किया जा रहा है. बिल्डर और तहसील के कर्मचारियों के खिलाफ पीड़ित ने फरवरी 2023 में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी, लेकिन पुलिस प्रशासन द्वारा इनकी शिकायत पर कार्यवाही नहीं की गई. उल्टा बिल्डर से मिलीभगत कर पीड़ित पर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई.


उन्होंने कहा कि पीड़ित ने 2018 में बिल्डर से 15 एकड़ भूमि का कोलैबोरेशन किया था, लेकिन बिल्डर ने कोलैबोरेशन के दौरान तय किए गए नियम अनुसार काम नहीं किया, जिसके कारण एग्रीमेंट 2021 में खत्म हो गया था. अब बिल्डर किसान को डरा धमकाकर और पुलिस के साथ मिलकर पीड़ित को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है. बिल्डर द्वारा जमीन हड़पने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.


पीड़ित किसान बीमार और अपाहिज है, उसका पूरा परिवार इसी जमीन पर पूरी तरह से निर्भर है. बिल्डर ने पुलिस प्रशासन से मिलकर एक बार फिर एफआईआर दर्ज करवा दी है. पीड़ित किसान ने जो मुकदमा दर्ज कराया उसे भू माफिया और अधिकारियों के दबाव में रद्द कर दिया गया. ऐसे में अब जांच करके पीड़ित किसान को न्याय दिया जाए.


पीड़ित किसान पर भू माफिया और बिल्डर द्वारा दर्ज कराई गई सारी एफआईआर रद्द की जाए. अगर प्रशासन 10 दिनों के भीतर संतोषजनक कार्रवाई नहीं की तो भारतीय किसान यूनियन द्वारा यह मान लेगा कि इसमें शासन-प्रशासन की भी मिलीभगत है और इसके खिलाफ आंदोलन करेगी.


(राजेश यादव की रिपोर्ट)



ये भी पढ़ें


फोन हैक होने के बाद सुप्रिया सुले बोलीं, 'मेरा मोबाइल बंद था और WhatsApp कोई और...'