गुरुग्राम के डॉक्टरों का कमाल! जन्मजात दुर्लभ बीमारी से पीड़ित एक माह के बच्चे को दिया जीवनदान
Haryana News: वर्ष 1816 के बाद से दुनियाभर में एलवी एपिकल एन्यूरिज्म बीमारी से मात्र 809 मरीज पीड़ित पाये गये हैं. डॉक्टर्स के सामने एक महीने के बच्चे में बीमारी का अनोखा मामला था.
Gurugram News: गुरुग्राम में दुर्लभ बीमारी से पीड़ित एक माह के बच्चे को जीवनदान मिला है. बच्चा जन्मजात एलवी एपिकल एन्यूरिज्म नामक रोग से पीड़ित था. डॉक्टर्स ने दावा किया है कि वर्ष 1816 के बाद से दुनियाभर में मात्र 809 मरीज दुर्लभ बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं. दुर्लभ बीमारी से पीड़ित सबसे कम उम्र के मरीज का इलाज करना बड़ी चुनौती थी. डॉक्टर्स ने बताया कि जन्म के बाद कई वर्षों तक बीमारी का इलाज नहीं हो सकता. शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) का गंभीर खतरा पैदा हो सकता है.
पारस हेल्थ में बाल चिकित्सा और वयस्क कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी के प्रमुख और एचओडी महेश वाधवानी ने कहा कि दुनिया में मेडिकल जगत के लिए मील का पत्थर बताया है. उन्होंने कहा कि जन्मजात एलवी एपिकल एन्यूरिज्म से जुड़ा मामला दुनिया में सबसे कम उम्र का है. बाल चिकित्सा और भ्रूण कार्डियोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ दीपक ठाकुर ने बताया कि भ्रूण की इकोकार्डियोग्राफी ने दुर्लभ विसंगति का निदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
एक महीने के बच्चे को मिला जीवनदान
प्रसव तक बच्चे की दो सप्ताह तक गहन निगरानी की गई. ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि धमनी विस्फार का आकार न बढ़े. जन्म के बाद एमआरआई किया गया. एक महीने बाद एन्यूरिज्म का आकार बढ़ गया और बच्चे को सांस लेने में कठिनाई होने लगी तभी सर्जरी करने का निर्णय लिया गया. बच्चे की सर्जरी एक महीने के होने पर की गयी. उसका वजन 3.4 किलोग्राम था. डॉक्टरों ने जन्म से शिशु की स्थिति पर निगरानी रखने का फैसला किया.
जन्मजात दुर्लभ बीमारी का हुआ इलाज
हृदय की मांसपेशियों को बढ़ने देने के लिए ऑपरेशन से पहले इंतजार किया गया. ऑपरेशन के बाद बच्चे को 36 घंटे तक वेंटिलेशन की आवश्यकता पड़ी. इलाज के एक सप्ताह में बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया गया. डॉ दीपक ठाकुर के अनुसार जन्मजात हृदय दोष हृदय की संरचना को प्रभावित करते हैं. आमतौर पर या तो जन्म के समय या उससे पहले पाए जाते हैं.
(रिपोर्ट- राजेश यादव)
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