Gurugram custodial torture case: गुरुग्राम के एक युवक की पिटाई को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने युवक के लिए 25 हजार रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया है. आठ पन्नों के निर्देश में आयोग ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में हिरासत में होने वाले अपराधों की बढ़तीं घटनाएं चिंता पैदा करती हैं. पुलिस को कानून लागू करने और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य द्वारा अधिकार दिया गया है. उन्हें अपनी मर्जी से कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. आयोग ने हिरासत में पीड़ित व्यक्ति राहुल की पिटाई के लिए एसीएस व डीजीपी को 25 हजार रुपए का मुआवजा देने व मारपीट करने वाले पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई करने के लिए कहा.
गलती करने वाले अधिकारी से हो राशि की वसूली
आयोग ने आदेश में कहा कि मुआवजे की रकम गलती करने वाले अधिकारी से वसूली जाए. इसके अलावा मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जाए.
क्या था पूरा मामला
यह मामला 4 अक्टूबर 2020 को गुरुग्राम के खेरकी धौला में दर्ज हत्या के प्रयास के मामले से संबंधित है. शिकायतकर्ता कृष्ण कुमार ने आयोग को बताया कि उनके बेटे राहुल को इस मामले में 18 दिसंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था और अगले दिन दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था. कुमार ने कहा कि जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर ओम प्रकाश ने उन्हें थाने में बुलाया और और मामले को सुलझाने के लिए 6 लाख रुपये की रिश्वत मांगी. जब उन्होंने पैसे देने से मना कर दिया तो पुलिस अधिकारी ने कथित तौर पर उनके सामने ही उनके बेटे राहुल को पीटा.
मेडिकल जांच में मिले चोट के निशान
जेल अधिकारियों ने 22 दिसंबर 2020 को गुरुग्राम के एक सरकारी अस्पताल में जब राहुल का मेडिकल कराया तो उसके शरीर पर दो चोट के निशान मिले. मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस कमिश्नर गुरुग्राम को तलब किया और संबंधित जांच अधिकारी ओमप्रकाश से भी जवाब मांगा. आयोग की कार्रवाई के बाद पुलिस विभाग के अधिकारियों द्वार जांच बिठाई गई. इसके बाद तत्कालीन डीसीपी ने एएसआई ओमप्रकाश को चेतावनी जारी की ताकि भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न हो, लेकिन आयोग इस बात से संतुष्ट नहीं था. अब आयोग ने पीड़ित को मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा दोषी पुलिस अधिकारियों पर आवश्यक कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं.
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