Gurugram News: महाभारत कालीन शहर गुरुग्राम में गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों-पांडवों को शस्त्र विद्या में निपुण किया था. उन्हें उपहार के रूप में गुरुग्राम दिया गया था. तभी से यह शहर गुरुग्राम बना. लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस शहर में गुरु द्रोणचार्य के नाम से कोई चौक, चौराहा या म्यूजियम की तो यहां ऐसा कुछ नहीं है. इससे हम कह सकते हैं कि इस ऐतिहासिक शहर की वैसे तो बहुत तरक्की हुई है, लेकिन इसका पौराणिक अस्तित्व खत्म सा कर दिया गया है.


गुरुग्राम में गुरु द्रोणाचार्य के नाम से एक पौराणिक तालाब है. यह तालाब शुरुआत में तो काफी ज्यादा क्षेत्रफल में फैला था, लेकिन समय के साथ इस पर कब्जे होते गए. आज यह 8-10 एकड़ का ही रह गया है. तालाब के चारों तरफ रहने वाले लोगों ने इस पर कब्जे कर लिए हैं. 


इसी क्षेत्र में संकरी गली में गुरु द्रोणाचार्य का एक मंदिर भी है. उसमें गुरु द्रोणाचार्य के अलावा अन्य देवी-देवताओं की भी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं. यह मंदिर सिर्फ एक ही कालोनी या क्षेत्र का बनकर रह गया है. आम जनता, बच्चों को गुरु द्रोणाचार्य का इतिहास बताने के नाम पर मंदिर में और कुछ नहीं है. 


न्यू रेलवे रोड पर गुरु द्रोणाचार्य के नाम से सरकारी कॉलेज जरूर है. इसे भी सार्वजनिक तौर पर नहीं कहा जा सकता. गुरुग्राम में जब दिल्ली मेट्रो का विस्तार हुआ तो एमजी रोड पर दिल्ली-गुरुग्राम के बीच के पहले मेट्रो स्टेशन को गुरु द्रोणाचार्य स्टेशन नाम दिया गया. तालाब, मंदिर, कॉलेज और मेट्रो स्टेशन ऐसे स्थल हैं, जो सिर्फ नाम के ही हैं. 


यहां गुरु द्रोणाचार्य के नाम से ना तो कोई पार्क है, जिसमें प्रतिमा लगाकर उनका जीवन परिचय दिया गया हो. ना कोई म्यूजियम है, जिसमें उनके बारे में अगली पीढिय़ां जानकारी ले सकें. ना किसी चौक-चौराहे पर उनकी प्रतिमा व उनके बारे में कुछ जानकारी अंकित है. 


तालाब पर चारों तरफ हुए कब्जे
गुरु द्रोणाचार्य के तालाब का अस्तित्व बचाने में जुटे वेद प्रचार मंडल के समक्ष अधिकारियों ने दावे तो इस तालाब की कायापलट के किए, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ काम नहीं दिखा. मंडल के महामंत्री व अन्य पदाधिकारी ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में भी तालाब पर से कब्जे हटवाने का मुद्दा उठा चुके हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति भी नहीं हुई. 


मंडल के महामंत्री जोगेंद्र सिंह बताते हैं कि कुरुक्षेत्र में महाभारत काल से जुड़ा बहुत कुछ है, लेकिन गुरुग्राम में कुछ नहीं. बार-बार अनुरोध के बाद नगर निगम ने तालाब के जीर्णोद्धार के लिए करीब सात करोड़ का बजट पास किया था. अभी तक इस तालाब की चाहरदीवारी ही हुई है. वह भी बिना कब्जे हटाए. जहां-जहां पर लोगों ने कब्जे किए हुए हैं, वहां से दीवार को घुमावदार बनाया गया है.


वहीं जोगेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार, प्रशासन गुरुग्राम शहर में कोई म्यूजियम बनाए, उनकी प्रतिमाएं लगवाए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां अपने देश का गौरव का ज्ञान ले सकें.


(राजेश यादव की रिपोर्ट)


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