Haryana News: गुरुग्राम (Gurugrm) में एक एनआरआई (NRI) की जमीन की फर्जी रजिस्ट्री कराने का मामला सामने आया है. गुरुग्राम में एक एनआरआई शख्स की करीब 40 करोड़ रुपये की 15 कनाल 2 मरला जमीन के फर्जी कागजात तैयार करके उसकी रजिस्ट्री कराने का गुरुग्राम पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. इस मामले में पुलिस के एक एसआई समेत 5 लोगों की गिरफ्तारी की गई है. पकड़े गए आरोपियों ने इस 40 करोड़ की जमीन को मात्र 6.6 करोड़ रुपये में खरीदना दिखाकर जीपीए तैयार करवा लिया था. गुरुग्राम पुलिस के पीआरओ सुभाष बोकन ने जानकारी दी कि, एक मार्च 2022 को पूर्ण मनचन्दा नाम के व्यक्ति ने पुलिस आयुक्त गुरुग्राम को शिकायत दी थी.


शिकायत में उसने बताया था कि, कुछ लोगों ने एसपीआर रोड स्थित गांव बेगमपुर खटोला जिला गुरुग्राम में उनकी जमीन के फर्जी कागज तैयार करके उन्हें पंजीकृत कराया है. इसके साथ-साथ पूर्ण मनचंदा ने यह भी लिखा कि, उनकी करोड़ों की जमीन को हड़प लिया गया है. इस शिकायत पर गुरुग्राम पुलिस ने जांच की और 16 मार्च 2022 को आरोपियों के खिलाफ थाना बादशाहपुर में विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया. वर्तमान पुलिस आयुक्त विकास कुमार अरोड़ा ने इस केस में एक एसआईटी गठित की व एसआईटी को इस केस से संबंधित दस्तावेज, आरोपियों के बारे में जानकारी एकत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए थें.


पकड़े गए आरोपियों में एक पुलिसकर्मी भी


गुरुग्राम पुलिस के पीआरओ सुभाष बॉक्स ने यह भी बताया कि, एसआईटी ने कार्रवाई आगे बढ़ाते हुए चार आरोपियों को इस केस में गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों की पहचान सुभाष चंद गांव टोडापुर हेलीमंडी गुरुग्राम, टोनी गांव टोडापुर, संजय गोस्वामी रिकॉर्ड कीपर तहसील कालकाजी दिल्ली व गुरुग्राम के सूर्य विहार के भीम सिंह राठी के रूप में हुई है. पीड़ित पूर्ण मनचन्दा की शिकायत पर इस केस में जांच के दौरान जालसाजों को फायदा पहुंचाने वाले ईओडब्ल्यू शाखा में तैनात एसआई प्रदीप द्वारा भी आरोपियों से रुपये लेने का खुलासा हुआ है. पुलिस ने एसआई प्रदीप समेत सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. 


फर्जी तरीके से कागज किए गए तैयार


गुरुग्राम पुलिस के पीआरओ सुभाष बोकन ने यह भी बताया कि, आरोपियों द्वारा योजनानुसार सबसे पहले सुभाष चन्द द्वारा जमीन का सजरा, मुटेशन व सेलडीड इत्यादि दस्तावेज हासिल की गई. टोनी ने कालकाजी तहसील में अपनी जान-पहचान का फायदा उठाकर रिकॉर्ड रूम में अस्थायी कर्मचारी संजय से मिला. अक्टूबर-2021 में संजय ने टोनी को वर्ष-1996 की असल बही दे दी. इसके बाद फर्जी जीपीए तैयार की गई और फर्जी जीपीए की कॉपी साल 1996 की असल बही में लगा दी गई. इसके बाद पुलिस या जांच में एक-एक परत का खुलासा होता रहा और पुलिस आरोपियों को पकड़ती रही.


(गुरुग्राम से राजेश यादव की रिपोर्ट)


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