Haryana: तीन बच्चों को लेकर पानी के टैंक में कूदी मां, मासूमों की मौत, जानें मामला
Haryana News: नूंह पुलिस स्टेशन के एसएचओ भरत सिंह ने कहा कि महिला ने शुरू में यह कहकर मामले को दबाने की कोशिश की कि उसके बच्चे टैंक में गिर गए और उन्हें बचाने के लिए वह इसमें कूद गई.
Haryana News: हरियाणा के नूहं जिले से एक दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है. यहां पर एक महिला अपने तीन बच्चों के साथ पानी के टैंक में कूद गई, जिससे टैंक में डूबने से उसके तीनों बच्चों की मौत हो गई. हालांकि महिला को बचा लिया गया है और पानी से बाहर निकालने के बाद महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. इस मामले को लेकर हरियाणा पुलिस ने बुधवार को बताया कि मंगलवार को नूंह के खेड़ला गांव में तीन बच्चों के घर में पानी की टंकी में कूदने के बाद उनकी मां डूब गई और उनकी मां बच गई.
इस घटना के बारे में पुलिस ने कहा कि यह घटना दोपहर 12.30 बजे हुई, चीख-पुकार सुनकर पड़ोसियों ने उसे बचाया. पुलिस ने बताया कि करीब 30 साल की महिला ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि वह अपने बीमार बच्चों के इलाज ने होने से परेशान थी. महिला ने यह कदम उस समय उठाया जब उसका पति और उसका 12 साल का बेटा घर पर नहीं थे. गांव के एक व्यक्ति मोहम्मद जहीर ने बताया कि महिला की नौ साल की बच्ची और सात साल का बेटा बीमारी की वजह से बिस्तर पर पड़े रहते हैं और उसकी चार महीने की एक बेटी भी है.
महिला ने मामले को दबाने की कोशिश की
इन बच्चों को वह तीन दिन पहले एक डॉक्टर के पास ले गए थे. हालांकि डॉक्टर ने उन्हें बताया कि वह किसी बीमारी से पीड़ित है और शायद इसका इलाज नहीं है. इसके बाद महिला ने अचानक अपने घर की पानी की टंकी में छलांग लगा दी. इस दौरान महिला का पति गुरुग्राम में था जो एक ट्रक मैकेनिक है. इसके अलावा घटना के समय सबसे बड़ा बेटा स्कूल में था. नूंह पुलिस स्टेशन के एसएचओ भरत सिंह ने कहा कि महिला ने शुरू में यह कहकर मामले को दबाने की कोशिश की कि उसके बच्चे टैंक में गिर गए और वह उन्हें बचाने के लिए अपनी सबसे छोटी बेटी के साथ इसमें कूद गई.
महिला के खिलाफ FIR दर्ज
हालांकि जांच से पता चला कि उसने खुद कूदने से पहले उन्हें अंदर फेंक दिया था. पुलिस ने महिला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत प्राथमिकी दर्ज की. पुलिस ने कहा कि हमें पता चला कि बड़ी लड़की और उसका भाई शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग थे. इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे खुद टैंक तक जा सकते थे.