Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024: हरियाणा में जननायक जनता पार्टी और चंद्रशेखर रावण (Chandra Shekhar Aazad) की आजाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन की घोषणा हो गई. जब इस गठबंधन ने आकार ले लिया है तो फिर हरियाणा के दलित वोटर किस ओऱ जाएंगे, इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है. हरियाणा के वोटरों में करीब 20 प्रतिशत दलित वर्ग से हैं और ये किसी पार्टी को चुनाव जिताने में अहम भूमिका निभाते हैं. क्या चंद्रशेखर आजाद की पार्टी के चुनाव में उतरने से  कांग्रेस,बीजेपी और मायावती की पार्टी बसपा के वोट खिसकेंगे? 


चंद्रशेखर आजाद को लेकर माना जाता है कि दलित वोट मयावती से शिफ्ट होकर इनकी तरफ झुका है और विशेषकर युवाओं में चंद्रशेखऱ आजाद को लेकर खासा क्रेज है. चंद्रशेखर ने दुष्यंत चौटाला के साथ यह गठबंधन पिछड़ों और किसानों के हक के लिए लड़ने के लिए किया है. हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस मुख्य प्रतिद्वंद्वी है लेकिन बसपा, इंडियन नेशनल लोकदल और आम आदमी पार्टी भी मैदान में हैं. इनेलो ने तो बसपा के साथ गठबंधन किया है लेकिन बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ रही है. 


हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों में जो इजाफा हुआ है उसको लेकर ऐसा माना जाता है कि इसमें दलित वोटों की अहम भूमिका है. वहीं, हरियाणा में कांग्रेस ने वापसी करते हुए लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीती हैं तो विधानसभा में जीतने की उसकी उम्मीद बढ़ गई है लेकिन अगर दलित वोट बंटे तो उसे भी नुकसान हो सकता है. 


लोकसभा चुनाव में बसपा और जेजेपी का प्रदर्शन 
बीते दो विधानसभा चुनाव के वोट शेयर की बात करें तो जननायक जनता पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में 4.9 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि बसपा को 3.65 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं इनेलो के खाते में केवल 1.9 प्रतिशत वोट गए थे. बीजेपी ने 58.21 प्रतिशत वोट हासिल किया था जबकि कांग्रेस को 28.51 प्रतिशत वोट मिले थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी को केवल 4.6 प्रतिशत वोट ही मिले थे जबकि कांग्रेस को 22.9 प्रतिशत और बीजेपी 34.7 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं, इनेलो के खाते में 24.4 प्रतिशत वोट गए थे.


2019 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े को देखें तो 36.49 प्रतिशत वोटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी जबकि कांग्रेस को 28.08 प्रतिशत वोट मिले थे, जेजेपी ने 14.80 प्रतिशत वोट हासिल किया थे. इनेलो को 2.44 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि उसकी गठबंधन सहयोगी बसपा को 4.21 प्रतिशत वोट मिले  थे.


2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 33.2 प्रतिश और कांग्रेस 20.6 प्रतिशत वोट हासिल किया था.  इनेलो दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसे 24.1 प्रतिशत वोट मिले थे.  बसपा का प्रदर्शन 2014 के चुनाव में भी कुछ खास नहीं था. उसे केवल  4.4 प्रतिशत वोट मिले  थे. बसपा का दलित वोट पर बड़ा फोकस रहता है बावजूद इसके बीते दो लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में यह कोई खास करिश्मा नहीं कर पाई है. ऐसे में अगर चंद्रशेखर की पार्टी की एंट्री हुई तो फिर इसके वोट कटते नजर आ रहे हैं.


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