Haryana News: राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद की अक्सर चर्चा होती है. लगभग हर राज्य में राजनीति में वंशवाद का असर नजर आता है. हरियाणा भी इससे अछूता नहीं है बल्कि यहां तो कई राजनीतिक परिवार हैं जिनकी आगे की पीढ़ी अपना राजनीतिक भविष्य तलाश रही है. इनमें से देवी लाल, बंसी लाल और भजनलाल का परिवार है जो राजनीति में अपना जोर लगा रहा है. आइए जानते हैं कहां हैं इन तीन 'लाल' का परिवार?


देवी लाल का परिवार


जाटों के बीच जिस परिवार का वर्चस्व रहा है उसमें है चौटाला परिवार. परिवार के पहले शख्स जिसने राजनीति में कदम रखा था, वह चौधरी देवी लाल थे. राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने कांग्रेस से की थी. फिर जनता दल सरकार में उन्हें डिप्टी पीएम बनने का मौका मिला था. देवी लाल ने 1974 में भारतीय लोकदल का गठन किया था जिसका नाम 1998 में बदल कर इंडियन लोकदल कर दिया गया.


उनकी विरासत को बेटे ओम प्रकाश चौटाला ने आगे बढ़ाया जो कि हरियाणा के पांच बार के सीएम रहे. वह राज्य के बड़े जाट लीडर के रूप में उभरे थे. हालांकि बाद में चौटाला परिवार में विवाद शुरू हुआ. यह ओम प्रकाश चौटाला के दो बेटों अभय और अजय के बीच में बंट गई. 2018 में इसका विभाजन हुआ. जननायक जनता पार्टी का नेतृत्व ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला और उनके बेटे दुष्यंत चौटाला कर रहे हैं जो डिप्टी सीएम भी रहे हैं. वहीं, जबकि इंडियन नेशनल लोकदल का नेतृत्व अभय चौटाला कर रहे हैं.


बंसी लाल का परिवार


बंसी लाल दो बार हरियाणा के सीएम रहे हैं. उन्हें आधुनिक हरियाणा का आर्किटेक्ट माना जाता है. वह इंदिरा गांधी और संजय गांधी के विश्वासपात्र रहे हैं.  बंसी लाल केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे हैं. उन्हें इंदिरा गांधी के कार्यकाल में रक्षा और राजीव गांधी के कार्यकाल में रेलवे मंत्रालय दिया गया था. 1996 में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा विकास पार्टी का गठन किया. हालांकि 2004 में इसने फिर कांग्रेस में विलय कर लिया. उनकी पोती श्रुति चौधरी राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने हालांकि अब बीजेपी का दामन थाम लिया है. 


भजन लाल का परिवार


हरियाणा के एक और बड़े कद्दावर नेता भजनलाल ने कांग्रेस से ही अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. 1970-75 के बीच केंद्र में  कृषि राज्य मंत्री रहे. वह हरियाणा के तीन बार के सीएम भी रहे. भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया. जब भजनलाल  को 2005 में सीएम का पद नहीं दिया गया तो उसके दो साल बाद अपने बेटे कुलदीप बिश्नोई की पार्टी ज्वाइन कर ली. 2016 में इस पार्ट का कांग्रेस में विलय हो गया था. हालांकि कुलदीप ने भी अब बीजेपी का रुख कर लिया है. उनके बेटे का नाम भव्या बिश्नोई है और वह भी राजनीति में सक्रिय हैं.


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