Haryana Flood: 'यमुना नदी के तटबंध मजबूत बने होते तो गांवों में न घुसता पानी', लोगों ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
Haryana: यमुना नदी के किनारे जो तटबंध लगाए गए हैं अब उनको लेकर सवाल उठने लगे हैं. अगर तटबंध सही समय पर और मजबूती के साथ बनाए जाते तो गांव में यमुना नदी के तेज पानी का बहाव न आता.
Haryana News: हरियाणा में बारिश और बाढ़ से मची आफत से अब लोगों को थोड़ी राहत मिली है. वहीं जलस्तर कम होने के बाद नुकसान का आंकलन होने लगा है. बता दें कि, यमुनानगर में यमुना नदी के तटबंध और बाधं बनाने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. यमुनानगर में बाढ़ से कई गांव पूरी तरह से तबाह हो गए हैं. हांलाकि, प्रशासन की तरफ से बचाव कार्य अभी भी जारी है. इस बाढ़ से न सिर्फ फसलों को नुकसान हुआ है, बल्कि कई गांव पूरी तरह से उजड़ गए है. लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि, इस बर्बादी के पीछ क्या सिर्फ प्राकृतिक आपदा ही जिम्मेदार है या फिर प्रशासन की नाकामी भी है.
यमुना नदी के किनारे जो तटबंध लगाए गए हैं अब उनको लेकर सवाल उठने लगे हैं. अगर तटबंध सही समय पर और मजबूती के साथ बनाए जाते तो गांव में यमुना नदी के तेज पानी का बहाव न आता. वहीं इस कमी को हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने भी माना. उन्होंने कहा कि, समय रहते अगर काम पूरा हो जाता तो ज्यादा बेहतर होता. बता दें कि, हथिनीकुंड बैराज के ऊपर बांध बनाने की मांग फिर से तेज होने लगी है. इस मसले पर कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि, बांध के काम में थोड़ा समय जरूर लगता है, क्योंकि इसमें विशेषज्ञ की राय बहुत जरूरी है. कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती है. हमें हिमाचल से एनओसी की भी जरूरत है.
उच्च स्तरीय जांच की मांग
वहीं हरियाणा एंटी करप्शन सोसायटी के प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि, अवैध खनन करने वाली एजेंसियों के साथ मिलीभगत करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और अधिकारियों के खिलाफ सबूत पेश करेंगे. उन्होंने यमुना नदी के पानी को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि, यमुना नदी के नगली घाट पर करोड़ों रुपये खर्च कर दो प्रदेशों की सीमाओं को जोड़ने वाले ओवर ब्रिज की सेफ्टी के लिए साइड बनाए गए थे, जो अब यमुना नदी में टूटकर बह गए. उन्होंने कहा कि, भ्रष्टाचार के चलते कंस्ट्रक्शन के कार्यों में प्रयोग होने वाली सामग्री से समझौता हो रहा है. अगर निर्माण सामग्री की गुणवत्ता सही होती तो आज तटबंध नहीं टूटते. उन्होंने कहा कि मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, यदि जांच निष्पक्ष और स्पष्ट नहीं होती तो वह हाई कोर्ट में याचिका डालने के लिए मजबूर होंगे.