22 जुलाई को तिरंगा दिवस घोषित करने की मांग, हरियाणा के पूर्व DGP चला रहे हैं अभियान
Gurugram News: हरियाणा के पूर्व डीजीपी वर्ष 2021 से 22 जुलाई को तिरंगा दिवस घोषित करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने फोटो, वीडियो भेजनकर अभियान को समर्थन देने की अपील की है.
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Haryana News: पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) शील मधुर ने आगामी 22 जुलाई को तिरंगे को सैल्यूट करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि हर देशवासी घर, दफ्तर, पार्क और सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगे का सम्मान करे. शील मधुर गुरुग्राम में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हर देश की तरह भारत का भी तिरंगा दिवस होना चाहिए. पूर्व डीजीपी ने कहा कि 26 जनवरी 2021 से तिरंगा दिवस घोषित करने के लिए अभियान चला रहे हैं.
अभियान के तहत पूर्व डीजीपी ने अलग अलग इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक किया. उन्होंने खुशी जाहिर की कि केंद्र सरकार ने हर घर तिरंगा पहुंचाने के लिए लोगों को प्रेरित किया. उन्होंने अभियान के प्रति लोगों का समर्थन मांगा. शील मधुर ने कहा कि फोटो, वीडियो 8826533172 नंबर पर भेजकर अभियान को समर्थन दिया जा सकता है. पूर्व डीजीपी शील मधुर ने कहा कि भारत का तिरंगा सबसे सुंदर राष्ट्रीय ध्वज माना गया है. उन्होंने कहा, "22 जुलाई को तिरंगे का जन्मदिन मनाएं. तिरंगा आजादी, अस्तित्व, संविधान, शांति, अहिंसा, प्रेम, खुशहाली का प्रतीक है."
तिरंगा दिवस घोषित करने की मांग
पूर्व डीजीपी ने बताया कि प्रमाण तिरंगा थीम पर शहरों, गांवों, स्कूलों, कॉलेजों में तिरंगा यात्राएं निकाली जाएंगी. उन्होंने आजादी के बाद अब तक तिरंगा दिवस नहीं होने पर चिंता जताई. पूर्व डीजीपी ने कहा कि सांसदों, मंत्रियों से लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तक को पत्र भेजकर 22 जुलाई को तिरंगा दिवस घोषित करने की मांग कर चुके हैं. उन्होंने संकल्प लिया है कि जब तक तिरंगा दिवस की घोषणा नहीं हो जाती, मांग को उठाते रहेंगे.
पूर्व डीजीपी चला रहे हैं अभियान
पूर्व डीजीपी ने बताया कि वर्ष 1916 में आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने भारतवासियों को एकसूत्र में पिरोकर रखने वाले झंडे की कल्पना की थी. उनकी सोच को एस.बी. बोमन और उमर सोमानी ने सराहा. तीनों ने मिलकर नेशनल फ्लैग मिशन की स्थापना की. हैदराबाद की सुरैया तैय्यबजी और उनके पति बदरूद्दीन तैय्यबजी ने संविधान समिति को राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र भी शामिल करने की सलाह दी. महात्मा गांधी ने सलाह को माना और ध्वज में अशोक चक्र शामिल करने की अनुमति दी.
(रिपोर्ट- राजेश यादव)
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