Haryana News: हरियाणा में भी फसल कटाई के मौसम में पराली जलाए (Stubble Burning) जाने की घटना सामने आई है जिसको लेकर किसानों पर कार्रवाई भी की जा रही है. अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि पराली जलाने वालों के खिलाफ 939 चालान जारी किए गए और 25.12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष की तुलना में कटाई के इस मौसम (Harvesting Season) में पराली जलाने की घटना में 38 फीसदी की कमी आई है.
अधिकारियों ने बताया कि खेतों में आग लगाने में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है. इसी के तहत 31 अक्टूबर तक 939 चालान किए गए हैं जिससे में कुल 25.12 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि राज्य सरकार वायु गुणवत्ता सूचकांक को लेकर सतर्क है. धान की पराली जलाने की घटना में कमी लाने के लिए कड़े उपाय किए जा रहे हैं.
पिछले साल की तुलना में पराली जलाने में आई कमी
बता दें कि बीते कुछ दिनों से हरियाणा में कुछ स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खराब और बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया है. मुख्य सचिव ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में पराली जलाने की घटनाओं में 38 प्रतिशत की कमी आई है. मुख्य सचिव ने यह बात एनसीआर के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष एमएम कुट्टी की अध्यक्षा में आयोजित वर्चुअल मीटिंग में कही. हरियाणा में 2022 में पराली जलाने के 2,083 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2023 में अब तक 1,296 मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं, 2021 से तुलना करें तो इस साल 57 फीसदी की कमी देखी गई है. मुख्य सचिव ने त्योहार के मौसम में कड़ी निगरानी करने पर जोर दिया.
धान के भूसे के औद्योगिक इस्तेमाल पर जोर
मुख्य सचिव कौशल ने कहा कि राज्य सरकार पराली जलाने में कमी लाने और पर्यावरण के प्रति जागरूक कृषि को बढ़ावा देने के लिए धान के भूसे के औद्योगिक इस्तेमाल का पता लगा रही है. उन्होंने कहा कि मौजूदा वर्ष में 13.54 मीट्रिक टन धान के भूसे का औद्योगिक इस्तेमाल होने की संभावना है. इस बैठक में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष राघवेंद्र राव भी मौजूद थे. उन्होंने खनन गतिविधियों की निगरानी करने का निर्देश दिया और साथ ही कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि कहीं भी कचरा खुले में न जलाया जाए. उन्होंने सड़कों की सफाई कराने और सरकार द्वारा लागू उपायों को लागू करने पर जोर दिया.