Haryana News: हरियाणा सरकार का खरीफ की फसलों को लेकर एलान, किसानों को कृषि मशीनों पर मिलेगा अनुदान
Haryana Farm Machines: हरियाणा सरकार ने प्रदेश के किसानों के लिए खरीफ की फसलों की बुवाई के लिए कृषि मशीनों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं. इन पर सरकार 50 प्रतिशत अनुदान दे रही है.
Haryana Subsidy on Farm Machine: हरियाणा सरकार ने खरीफ फसलों की बुवाई में इस्तेमाल होने वाली कृषि मशीनों की लिए किसानों से पहली बार ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं. हरियाणा सरकार मशीनीकरण (एसएमएएम) योजना के तहत किसानों को मशीनों पर अनुदान दे रही है. इस योजना के बारे में राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा ने चंडीगढ़ में जारी विज्ञप्ति में कहा कि उप-मिशन के तहत सामान्य वर्ग के किसानों को 40 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान है. इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किसान www.agriharyana.gov.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.
हरियाणा के किसानों को प्रोत्साहन के रूप में 16 करोड़ रुपये की राशि वितरित की जानी है. प्रदेश के 2330 किसानों ने 239 बीटी कपास बीज ड्रिल मशीन, 323 ट्रैक्टर संचालित स्प्रे पंप, धान की बुवाई के लिए 284 सीधी बीज वाली चावल (डीएसआर) मशीन, 1,156 ट्रैक्टर-माउंटेड रोटरी वीडर, पांच पावर टिलर सहित कृषि मशीनरी खरीदी हैं. इसके अलावा 104 न्यूमेटिक प्लांटर्स, 13 मक्का थ्रेशर, 71 मक्का प्लांटर्स और 136 स्वचालित रीपर बाइंडर मशीनें भी किसानों ने खरीदी हैं.
इन जिलों के किसानों ने खरीदीं सबसे अधिक एसआर मशीन
कृषि विभाग के महानिदेशक हरदीप सिंह ने कहा कि दक्षिण हरियाणा के भिवानी, चरखी दादरी, नारनौल और हिसार जिलों के किसानों ने बीटी कॉटन सीड ड्रिल और ट्रैक्टर संचालित स्प्रे पंप पर सब्सिडी का लाभ उठाया है. जबकि उत्तर हरियाणा के यमुनानगर, करनाल, कुरुक्षेत्र जिलों के किसानों ने ट्रैक्टर संचालित रोटरी वीडर मशीन और न्यूमेटिक प्लांटर खरीदने में रुचि दिखाई है. इसके अलावा डीएसआर मशीनों की सर्वाधिक खरीद सिरसा, करनाल, जींद और कैथल के किसानों ने की हैं.
सुमिता मिश्रा ने कहा कि यह योजना अंबाला, फतेहाबाद, जींद, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, सोनीपत, सिरसा और यमुनानगर जैसे अधिक पानी वाले जिलों में लागू की जा रही है जहां 1.25 लाख एकड़ से अधिक पर धान उगाया जाता है. इन फसलों के साथ धान की फसल में विविधता लाने के लिए मक्के के लिए 62,500 एकड़ और मूंग, उड़द और अरहर जैसी दालों के लिए 32,500 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है.