(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Haryana News: हरियाणा सरकार ने एमबीबीएस छात्रों के लिए दोहराई बांड की शर्त, यहां जानिए क्या है पूरा मामला
Haryana सरकार ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन को लेकर बांड शुल्क की शर्त को फिर से दोहराया है. इस शर्त के MBBS करने वाले छात्रों द्वारा सालाना 10 लाख रुपये के बॉन्ड पर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए.
MBBS Bond For Haryana: हरियाणा सरकार ने दोहराया है कि सत्र 2022-23 के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए केवल उन्हीं उम्मीदवारों पर विचार किया जाएगा जो नवंबर 2020 में शुरू की गई नीति के अनुसार बांड शुल्क जमा करते हैं. महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान ने 8 सितंबर को जारी पत्र में 2020-21 और 2021-22 सत्र के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले छात्रों को नीति के अनुसार बांड राशि या शुल्क जमा करने को कहा है.
सरकार का कहना है कि 2020 की नीति के अनुसार, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स करने वाले छात्रों द्वारा सालाना 10 लाख रुपये के बॉन्ड पर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए और यह बॉन्ड सरकारी नौकरी पाने के लिए एक शर्त होगी. विपक्ष ने बांड की शर्त की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे गरीब परिवारों से आने वाले छात्रों को परेशानी होगी.
जारी पत्र के मामले में कही गई ये बात
इस मामले में जारी एक पत्र में कहा गया है कि "नीति दिनांक 06-11-2020 को कॉलेज की वेबसाइट पर व्यापक रूप से प्रचारित किया जाना चाहिए और 15% अखिल भारतीय कोटे के माध्यम से प्रवेश पाने वाले उम्मीदवारों की जानकारी के लिए एमसीसी, डीजीएचएस/एनएमसी को भी सूचित किया जाना चाहिए. तदनुसार, सूचना को अधिकृत पोर्टल पर अपलोड किया जाना चाहिए, जिस पर अखिल भारतीय कोटे की 15% सीटें एमसीसी, डीजीएचसी को भेजी जाती हैं."
सरकार की ये है रणनीति
बकौल द इंडियन एक्सप्रेस, एक शिक्षाविद और रोहतक स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआईएमएस) के पूर्व प्रोफेसर डॉ रणबीर सिंह दहिया ने समझाया कि "नीति के अनुसार, एमबीबीएस कोर्स पूरा होने के बाद, सरकार 40 लाख रुपये का पूरा कर्ज चुकाएगी. यदि संबंधित उम्मीदवार सरकारी नौकरी लेता है. लेकिन मुद्दा यह है कि सभी उम्मीदवारों के लिए सरकारी नौकरियां कहां हैं? सरकार सभी पास आउट को सरकारी नौकरी की गारंटी नहीं दे रही है. अगर आप सभी छात्रों को सरकारी नौकरी नहीं दे पा रहे हैं तो सभी एमबीबीएस छात्रों पर यह शर्त क्यों लगाई गई है. यह शर्त सिर्फ उन्हीं पर लागू हो सकती है जिन्हें सरकार नौकरी ऑफर करती है. यदि कोई नौकरी नहीं ले रहा है तो उसे 40 लाख रुपये की फीस देने को कहा जा सकता है. लेकिन अगर कोई छात्र सरकारी नौकरी का विकल्प चुनता है और सरकार नौकरी देने में असमर्थ है, तो उम्मीदवार द्वारा ऋण राशि का भुगतान क्यों किया जाए.”
10 लाख रुपये की बांड राशि जमा करने के सवाल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पहले कहा था कि इसे शामिल किया गया है ताकि एमबीबीएस करने के बाद छात्र राज्य में काम कर सकें और राज्य के लोगों को अपनी सेवाएं दे सकें. उन्होंने कहा था कि छात्रों को राज्य में काम करने के लिए प्रेरित करने के लिए बांड की शर्त लगाई गई थी.