Haryana News: जहां सरकार सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने की बात करती है. शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नए-नए दावे करते ही, वहीं दूसरी तरफ इन सरकारी स्कूलों की हालत इतनी खराब है कि स्कूलों में स्टूडेंटस की संख्या लगातार घटती जा रही है. एक ताजा आंकड़े के अनुसार, हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 1.44 स्टूडेंटस की संख्या कम हो गई है. छात्र-छात्राएं में दोबारा प्राइवेट स्कूलों की ओर रुझान बढ़ रहा है. 


कोरोना काल में बढ़ी थी स्टूडेंटस की संख्या


आपको बता दें कि कोरोना काल के समय हरियाणा के सरकारी स्कूलों की संख्या करीब 3.66 लाख बढ़ी थी. लेकिन अब यहीं संख्या तेजी से घट रही है. इन विद्यार्थियों ने दोबारा निजी स्कूलों में एडमिशन करवाना शुरू कर दिया है. प्रदेश के इन स्कूलों में आठवीं और 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों का ड्राप आउट ज्यादा हो रहा है. 


मुखियाओं की तय की जाएगी जिम्मेदारी


प्रदेश के स्कूलों में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. सरकारी स्कूलों में घटती विद्यार्थियों की संख्या को देखते हुए अब स्कूलों मुखियाओं की जिम्मेदारी तय करने की तैयारी चल रही है. शिक्षा विभाग की योजना है कि स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने वाले मुखियाओं को सम्मानित किया जाएगा. 


सरकारी स्कूलों में कितने घटे दाखिले?


हरियाणा में 10 से 6 साल की उम्र में दाखिले लेने वाले बच्चों का अनुपात 95.7 प्रतिशत है जबकि देशभर का औसत 99.1 प्रतिशत है. यहां ग्रोस एनरोलमेंट रेश्यों 104 प्रतिशत है. वही नेट एनरोलमेंट रेश्यों 82 प्रतिशत है. अपर प्राइमरी में 11 से 13 साल के आयु के बच्चों का एनरोलमेंट 98.7 प्रतिशत है. देशभर का औसत 92.25 प्रतिशत है. एलिमेंटरी में 6 से 13 साल की आयु तक 97.7 प्रतिशत है. सेकेंडरी लेवल पर 15 से 16 वर्ष की आयु में 88.8 प्रतिशत है. हायर सेकेंडरी में 16 से 17 आयु तक 51.7 प्रतिशत है. 


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