Haryana News: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के वरिष्ठ अधिकारी अशोक खेमका ने शनिवार को सवाल किया कि 2014 के चुनावों में बड़ा मुद्दा बने घोटालों में किसे सजा हुई. उन्होंने जानना चाहा कि क्या भ्रष्टाचार सिर्फ चुनावी मुद्दा बनने तक सिमटकर रह जाएगा. गौरतलब है कि, 2012 में खेमका ने भूमि उपयोग विभाग में महानिदेशक और पंजीकरण विभाग में महानिरीक्षक रहते हुए डीएलएफ और स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के बीच 3.5 एकड़ जमीन का उपयोग बदलने वाला सौदा रद्द कर दिया था.


आपको बता दें कि, स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ी हुई कंपनी है. बीजेपी ने इस सौदे में धांधली का आरोप लगाया था. वहीं अब खेमका ने ट्वीट किया है कि, क्या घोटाले सिर्फ चुनावी मुद्दे तक सीमित रहेंगे? जो घोटाले 2014 में मुख्य चुनावी मुद्दा बने, उनमें नौ साल बाद किसे दंड मिला? उन्होंने कहा कि, आयोगों पर करोड़ों खर्च हुए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अब क्या पुलिस तहकीकात का भी यही हश्र होगा? जिन्हें कटघरे में होना चाहिए था, वही शासक बने बैठे हैं. यह कैसी न्याय नीति है?






खेमका क्यों नाराज हैं?
दरअसल, खेमका ने ही वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील उजागर की थी. हालांकि, इसके बाद तत्कालीन सरकार ने 11 अक्टूबर 2012 को रात 10 बजे खेमका का ट्रांसफर कर दिया था. अगले दिन 12 अक्टूबर को खेमका ने लाइसेंस की कालाबाजारी मानते हुए जांच के आदेश दिए. इसी दिन उन्होंने अपने ट्रांसफर के खिलाफ चीफ सेक्रेटरी को ज्ञापन देकर जांच की मांग की. इसके 3 दिन बाद 15 अक्टूबर, 2012 को खेमका ने डीएलएफ का म्यूटेशन रद्द कर दिया और उसी दिन पुरानी पोस्ट का चार्ज भी छोड़ दिया.



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