Haryana News: पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट से हरियाणा सरकार को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में प्रदेश के नागरिकों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून रद्द कर दिया है. हरियाणा सरकार की तरफ से लागू इस फैसले को फरीदाबाद और गुरुग्राम के उद्योगपतियों ने हाईकोर्टे में चुनौती दी थी. जिसको लेकर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान फिर चर्चाओं में आ गया है. जिसमें उन्होंने कहा था कि क्या बिहार देश से बाहर है.
बिहार शिक्षक भर्ती में लिया ये फैसला
आपको बता दें कि बिहार की शिक्षक भर्ती में प्रदेश से बाहर के लोगों को भर्ती में शामिल किए जाने को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने यह बयान दिया था. आपको बता दें कि बिहार में शिक्षकों की 170461 पदों पर भर्तियां निकाली गई थी. जिसमें 120336 टीचर कैंडिडेट सेलेक्ट हुए थे. इसके बाद पहली भर्ती प्रक्रिया में खाली रहे पदों को जोड़कर दूसरी भर्ती निकाली गई थी. जिसमें कहा गया कि इस भर्ती प्रक्रिया में बिहार से बाहर के लोग भी शामिल हो सकेंगे जिसके बाद 2020 में फैसला वापसी लेते हुए कहा गया कि भर्ती में सिर्फ बिहार के लोग ही शामिल हो सकेंगे.
इसके बाद जून में इस फैसले को महागठबंधन की सरकार ने सभी के लिए खोल दिया क्योंकि उन्हें डर था कि दूसरे राज्य के कैंडिडेट कोर्ट चले गए तो भर्ती को रद्द करना पड़ेगा. क्योंकि दूसरे राज्य कै कैंडिडेट को भर्ती होने से रोकना संविधान से मिले समानता का अधिकार का उल्लंघन है.
बिहार में खूब हुआ था हंगामा
जब बिहार से बाहर के कैंडिडेट को परीक्षा में शामिल होने की इजाजत मिली तो बिहार की डोमिसाइल नीति में भी बदलाव किया गया. इसको लेकर काफी हंगामा हुआ, विपक्षी दलों ने इसे बिहार के बेरोजगारों की हकमारी बताया. 2020 की शिक्षक बहाली नीति के तहत सिर्फ बिहार के लोगों को शामिल करने की मांग की गई. लेकिन नीतिश सरकार अपने फैसले पर अडिग रही.
तेजस्वी यादव को खूब ट्रोल किया गया क्योंकि उनकी तरफ से प्राइवेट नौकरियों में बिहार के लोगों को 85 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गई थी. इस सारे मसले के बाद जब 2 नवंबर को 25 हजार शिक्षकों को पटना के गांधी मैदान में नियुक्त पत्र दिया जा रहा था तो सीएम नीतीश कुमार ने विपक्ष से सवाल करते हुए कहा था कि क्या बिहार देश से बाहर है.
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