Haryana News: हरियाणा सरकार की बॉन्ड नीति की एमबीबीएस छात्रों ने आलोचना की है और सैकड़ों अंडरग्रेजुएट मेडिकल छात्र पिछले 26 दिनों से इसका विरोध कर रहे हैं. नया नियम छात्रों को अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद सात साल तक राज्य सरकार के लिए काम करने के लिए बाध्य करता है. सात साल लंबा समय होता है, इसी को लेकर एमबीबीएस छात्र सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.


बॉन्ड पॉलिसी के तहत, डॉक्टरों को स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद एक निश्चित अवधि के लिए राज्य द्वारा संचालित अस्पताल में काम करना जरुरी है. अगर डॉक्टर ऐसा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें राजकीय या मेडिकल कॉलेज को जुर्माना देना होगा. हरियाणा में, सरकारी संस्थानों में पढ़ने वाले एमबीबीएस छात्रों को प्रवेश के समय 36.40 लाख रुपये के त्रिपक्षीय बॉन्ड पर हस्ताक्षर करना होता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह सात साल तक सरकार की सेवा करेंगे. छात्र नीति का विरोध कर रहे हैं और तर्क दे रहे हैं कि बॉन्ड राशि 'बड़ी और अनुचित' है, और सात साल 'लंबा समय' है.


 राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग बोला- बॉन्ड नीति की हो समीक्षा


इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय डॉक्टरों के लिए बॉन्ड नीति को खत्म करने पर काम कर रहा है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने भी कहा है कि जब से बॉन्ड नीति पेश की गई है, देश में चिकित्सा शिक्षा का परिदृश्य बदल गया है, और इसलिए यह समीक्षा के लायक है.फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के संस्थापक डॉ. मनीष जांगड़ा ने कहा, हम इस नीति का विरोध कर रहे हैं क्योंकि सात साल लंबा कार्यकाल होता है और वह उम्मीद कर रहे हैं कि डॉक्टर सात साल के लिए बंधुआ मजदूर बन जाएंगे. कुल 1,200 में से हरियाणा में डॉक्टरों की रिक्तियों के लिए 8,000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था. अगर सरकार राज्य में डॉक्टरों के संकट के बारे में सोचती है, तो वह इस तरह के अमानवीय बंधन के बजाय उन सभी का चयन क्यों नहीं करते, जिन्होंने आवेदन किया था.


छात्रों के आंदोलन में आईएमए भी हुआ शामिल


बता दें कि शनिवार को छात्रों के आंदोलन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) भी शामिल हो गया. आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह, डॉ. जयेश लेले और आईएमए की हरियाणा अध्यक्ष डॉ. पुनीता हसीजा और अन्य लोगों के साथ पीजीआईएमएस, रोहतक में आंदोलनरत छात्रों के साथ शामिल हुए. डॉ. सिंह ने छात्रों को आश्वासन दिया कि देश भर में पूरी चिकित्सा बिरादरी (चिकित्सा से जुड़े लोग) विरोध का समर्थन करती है. छात्रों की मांगें पूरी होने तक आईएमए के डॉक्टर राज्य के सभी जिलों में क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे.


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