Gurugram News: गुरुग्राम में कांग्रेस के विधायक धर्म सिंह छोकर की कंपनी माहिरा होम्स कंपनी में पिछले तीन साल से फ्लैट बुकिंग कराने के बाद अपने घर का सपना पूरा होने का सपना देख रहे खरीदारों ने गुरुवार को एक बार फिर से यहां सिविल लाइन स्थित हरेरा कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने विधायक धर्म सिंह छोकर व उनके बेटे विकास व सिकन्दर पर करीब 5000 फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए उन पर कार्रवाई करने की मांग की.

  


5000 लोगों को हुए थे फ्लैट आवंटित


हरेरा कार्यालय पर प्रदर्शन करने के दौरान माहिरा होम्स सेक्टर-104 के प्रधान कमल भारद्वाज, सेक्टर-63ए से अभिषेक वाही, सेक्टर-95 से जोश मैथ्यू ने बताया कि माहिरा होम्स की कंपनी ने गुरुग्राम में सेक्टर-103 व 104, सेक्टर-63 ए, सेक्टर-95 व सेक्टर-68 में अफोर्डेबल हाउसिंग के 5 प्रोजेक्ट लांच किए थे. वर्ष 2020-21 में लांच किए गए इन प्रोजेक्ट में करीब 5000 लोगों को फ्लैट आवंटित हुए. लोगों ने 5 से लेकर 25 लाख रुपये तक माहिरा होम्स कंपनी को जमा करा दिए. इस तरह से 300 करोड़ रुपये से अधिक की रकम माहिरा होम्स में जमा हुई. खरीदारों को उम्मीद बंधी कि उन्हें जल्द ही फ्लैट मिल जाएंगे. समय बीतता गया, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नजर नहीं आया. सभी प्रोजेक्ट पर कहीं जमीन खोद दी गई तो कहीं बेसमेंट बनाया गया. कहीं एक फ्लोर बनाकर छोड़ दिया गया.


माहिरा होम्स पर रेरा नहीं बना रहा कोई दबाव- अभय जैन    


माहिरा होम्स में फ्लैट खरीदारों के एडवोकेट अभय जैन का कहना है कि कंपनी द्वारा 300 करोड़ रुपये दूसरे काम के लिए डायवर्ट करने के बाद भी सिर्फ कागजी कार्यवाही ही रेरा ने की है. खरीदारों के साथ बिल्डरों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए रेरा गठन हुआ था, लेकिन रेरा पीड़ितों को न्याय नहीं दे पा रहा.


ब्लैक लिस्ट कर कंपनी को फिर किया बहाल


कमल भारद्वाज, अभिषेक वाही, जोश मैथ्यू ने कहा कि कंपनी ने लोगों द्वारा अपने घर के लिए जमा कराए गए 300 करोड़ से अधिक की राशि दूसरे काम के लिए डायवर्ट कर ली. जबकि रेरा का नियम है कि जिस प्रोजेक्ट के लिए जो राशि खरीदारों द्वारा जमा कराई जाती है, वह उसी प्रोजेक्ट में खर्च हो. फ्लैट खरीदारों ने रेरा में कंपनी के खिलाफ केस दर्ज कराया. रेरा ने कंपनी को आदेश दिए कि जो पैसा डायवर्ट किया है, वह इन्हीं प्रोजेक्ट के लिए वापस खातों में जमा हो. कंपनी ने रेरा के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए ऐसा कुछ नहीं किया. करीब 3 साल बीत चुके हैं, लेकिन कंपनी रेरा का कोई आदेश नहीं मान रही. डीटीसीपी ने कंपनी को पहले ब्लैक लिस्ट किया था, लेकिन बाद में बहाल कर दिया. (राजेश यादव की रिपोर्ट)


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