Haryana News: हरियाणा: MBBS छात्रों के समर्थन में डॉक्टर्स ने किया काम का बहिष्कार, OPD सेवा प्रभावित
Haryana: पॉलिसी के अनुसार छात्रों को सरकारी अस्पतालों में सात साल तक सेवा देनी होगी. यदि कोई छात्र सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में सेवा नहीं देने का विकल्प चुनता है तो उसे राशि का भुगतान करना होगा.
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Haryana News: हरियाणा में निजी अस्पतालों में ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग) सेवाएं सोमवार को निलंबित रहीं क्योंकि राज्य सरकार की बांड नीति (Bond Policy) का विरोध कर रहे एमबीबीएस छात्रों (MBBS Students) के समर्थन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) से जुड़े डॉक्टरों ने कार्य का बहिष्कार किया. हालांकि, राज्य के निजी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं चालू रहीं. रोहतक में पंडित भागवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआईएमएस) और कुछ अन्य मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के छात्र पिछले तीन सप्ताह से बांड नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
राज्य में ओपीडी सेवाएं रहीं निलंबित
पीजीआईएमएस के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी आंदोलन कर रहे एमबीबीएस छात्रों को अपना समर्थन दिया है. बांड नीति को लेकर छात्रों और हरियाणा सरकार के अधिकारियों के बीच बातचीत के बावजूद गतिरोध जारी है. आईएमए हरियाणा अध्यक्ष पुनीता हसीजा ने कहा कि राज्य में ओपीडी सेवाएं एक दिन के लिए निलंबित रहीं. उन्होंने कहा कि ऐसा विरोध कर रहे एमबीबीएस छात्रों के समर्थन में किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘हम मेडिकल छात्रों के साथ एकजुट खड़े हैं.’’
आईएमए की बांड पॉलिसी की वापस लेने की मांग
आईएमए (हरियाणा) ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर बांड नीति को वापस लेने की मांग की है, जो मेडिकल छात्रों के हित में नहीं है. एमबीबीएस छात्रों की मांगों में अनिवार्य सरकारी सेवा की अवधि को सात साल से घटाकर एक साल करना और बॉन्ड राशि 5 लाख रुपये से अधिक नहीं होना शामिल है. बांड नीति के अनुसार सरकारी संस्थानों में एमबीबीएस के छात्रों को प्रवेश के समय शुल्क सहित 40 लाख रुपये का त्रिपक्षीय (छात्र, बैंक और सरकार के बीच) बांड निष्पादित करना होगा.
क्या कहती है बांड पॉलिसी, क्यों हो रहा इसका विरोध
इस नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्र सरकारी अस्पतालों में सात साल तक सेवा दें. यदि कोई छात्र पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद राज्य सरकार के स्वास्थ्य संस्थान में सेवा नहीं देने का विकल्प चुनता है तो उसे राशि का भुगतान करना होगा. एमबीबीएस छात्रों के प्रतिनिधियों, रेजिडेंट डॉक्टरों और हरियाणा सरकार के अधिकारियों के बीच रविवार को हुई बैठक बेनतीजा रही. हरियाणा सरकार की ओर से मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान) जी अनुपमा और निदेशक (चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान) आदित्य दहिया उपस्थित थे.
वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को कहा था कि इस मुद्दे के जल्द ही हल होने की संभावना है. उन्होंने यह भी कहा था कि बांड नीति को लेकर मेडिकल छात्रों की शंकाओं को दूर किया जा रहा है. खट्टर ने कहा था कि बॉन्ड नीति किसी डॉक्टर के परिवार या गरीब परिवार को परेशान करना नहीं है.
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