Haryana: सीएम के आश्वासन पर PGIMS के रेजिडेंट डॉक्टरों ने खत्म की हड़ताल, MBBS छात्र जारी रखेंगे आंदोलन
Chandigarh News: एमबीबीएस छात्रों और रेजिडेंट चिकित्सकों के प्रतिनिधियों से बातचीत में खट्टर ने 30 नवंबर को कहा कि राज्य सरकार बांड नीति की राशि को 40 लाख रुपये से घटाकर 30 लाख रुपये करेगी.
Haryana News: हरियाणा के रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआईएमएस) के रेजिडेंट चिकित्सकों ने शुक्रवार को अपनी हड़ताल खत्म कर दी और चिकित्सा कार्य शुरू कर दिया. हरियाणा सरकार की बांड नीति (Bond Policy) के खिलाफ एमबीबीएस छात्रों (MBBS Students) की ओर से जारी आंदोलन के प्रति एकजुटता दिखाते हुए ये चिकित्सक पिछले आठ दिनों से हड़ताल पर थे लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) के साथ 30 नवंबर को हुई बैठक के बाद हड़ताल को खत्म करने का फैसला लिया गया क्योंकि मुख्यमंत्री ने बांड नीति में परिवर्तन करने का ऐलान किया है.
MBBS के छात्र जारी रखेंगे आंदोलन
हालांकि, बांड नीति के खिलाफ करीब एक महीने से आंदोलनरत एमबीबीएस छात्रों ने अपना विरोध जारी रखा है. एमबीबीएस छात्रों और रेजिडेंट चिकित्सकों के प्रतिनिधियों से बातचीत में खट्टर ने 30 नवंबर को कहा कि राज्य सरकार बांड नीति की राशि को 40 लाख रुपये से घटाकर 30 लाख रुपये करेगी.
सरकारी अनिवार्य सेवा की अवधि होगी 5 साल
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अनिवार्य सरकारी सेवा की अवधि को सात साल से घटाकर पांच साल किया जाएगा. पीजीआईएमएस-रोहतक के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने गुरुवार रात को जारी अपने बयान में कहा गया कि, ‘‘एक दिसंबर को आम सभा की बैठक में सर्वसम्मति से लिए गये निर्णय के तहत आरडीए के सदस्यों ने हड़ताल को तत्काल प्रभाव से वापस लेने और अस्पताल की नियमित सेवा बहाल करने का फैसला किया.’‘
मांगे पूरी होने तक MBBS छात्रों का आंदोलन रहेगा जारी
बयान में यह भी कहा गया कि छात्रों को नीति में संशोधन करने का आश्वासन दिया गया है. हालांकि, एमबीबीएस छात्रों के नेता अनुज धानिया ने शुक्रवार को कहा कि वे मांगें पूरी होने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे. एमबीबीएस छात्रों ने अनिवार्य सरकारी सेवा की अवधि को घटाकर एक साल करने और बांड का उल्लंघन करने पर ली जाने वाली राशि को घटाकर 10 लाख रुपये से कम करने की मांग की है.
क्या कहती है बॉन्ड नीति
इसके पहले बांड नीति में कहा गया था कि सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने वाले छात्रों को शुल्क समेत 40 लाख रुपये के त्रिपक्षीय बांड (छात्र, बैंक और सरकार) पर अमल करना होगा. इस बांड नीति के तहत सात साल तक सरकारी अस्पताल में सेवा देने की भी बाध्यता है. यदि कोई विद्यार्थी एमबीबीएस पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद राज्य सरकार के स्वास्थ्य संस्थानों में सेवा नहीं करने का विकल्प चुनता है, तो उसे उल्लिखित राशि जमा करनी होगी.
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