Haryana News: हरियाणा में ई-टेंडरिंग को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रोश, अब सरपंचों ने बनाई ये रणनीति, जानें पूरा मामला
Jind News: जींद में सरपंच संगठन एक बार फिर सरकार के विरोध में खड़े हो गए है. जींद जिले के जुलाना कस्बे में 23 सितंबर को कृषि मंत्री जेपी दलाल के कार्यक्रम का सरपंच एसोसिएशन विरोध करने वाला है.
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Haryana News: हरियाणा में सरकार के खिलाफ सरपंचों का विरोध कम नहीं हुआ है. ई-टेंडरिंग प्रणाली के विरोध में सरपंच सरकार के खिलाफ खड़े दिखाई दे रहे है. हरियाणा सरपंच एसोसिएशन अब कृषि मंत्री जेपी दलाल का विरोध करने वाले है. जींद जिले के जुलाना कस्बे में 23 सितंबर को कृषि मंत्री जेपी दलाल का कार्यक्रम है. सरपंच एसोसिएशन ने इस कार्यक्रम का विरोध करने की घोषणा की है. बुधवार को जुलाना ब्लॉक में एक बैठक हुई, जिसमें सरपंच एसोसिएशन के प्रधान रणबीर समैन ने सार्वजनिक स्थानों पर होने वाले कार्यक्रमों का विरोध करने का प्रस्ताव पारित किया.
ई-टेंडरिंग प्रणाली को लेकर सरकार से नाराज है सरपंच
आपको बता दें कि ई-टेंडरिंग प्रणाली को लेकर प्रदेश के सरपंच सरकार से नाराज है. उन्होंने गांवों के विकास कार्यों को लेकर शुरू की गई ई-टेंडरिंग प्रणाली को वापस लेने, पूर्ण पंचायती राज अधिनियम को लागू करने की मांग की है. कई मांगों को लेकर सरपंच जनवरी माह से ही प्रदर्शन कर रहे है. वहीं अब सरपंचों ने एक मांगों में विकास कार्यों के लिए ग्राम अनुदान की शक्तियां सांसदों, विधायकों और मंत्रियों को सौंपने के फैसले को रद्द करने की एक और मांग जोड़ दी है.
क्या है ई-टेंडरिंग प्रणाली?
पिछले दिनों प्रदेश के सरपंचों ने एकजुट होकर काफी दिनों तक ई-टेंडरिंग प्रणाली का विरोध किया. लेकिन ये ई टेंडरिंग विवाद क्या है जिसका विरोध हो रहा है. प्रदेश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार ने ई-टेंडर प्रक्रिया बनाई है. जिसके अनुसार 2 लाख रुपए से अधिक के कार्यो के लिए ई-टेंडरिंग जारी की जाएगी. फिर किसी अधिकारी और ठेकेदार के माध्यम से गांव के विकास कार्य करवाएं जाएंगे. वहीं सरपंच विकास कार्यों की जानकारी शासन को देंगे. जिसके बाद सरकार ठेकेदारों से ई-टेंडरिंग के जरिए विकास कार्य करवाएगी. ई-टेंडरिंग प्रणाली को लेकर सरकार का दावा है कि इससे भ्रष्टाचार के मामले कम हो जाएंगे.
सरपंच क्यों कर रहे है विरोध
ई-टेंडरिंग प्रणाली को लेकर सरपंचों का कहना है कि ई-टेंडर व्यवस्था पंचायतों के कामकाज में बाधक बनने वाली है. इससे पहले सरपंच 20 लाख तक के विकास कार्य करा सकता था. ई-टेंडरिंग प्रणाली लागू होने के बाद सरपंच केवल 2 लाख तक के विकास कार्य करवा सकता है. सरपंचों का कहना है कि इससे पंचायतों का काम प्रभावित होगा.
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