Haryana Political Crisis: हरियाणा में सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने अपने मंत्रिमंडल के साथ मंगलवार (12 मार्च) को इस्तीफा दे दिया. सूत्रों के मुताबिक मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला अचानक नहीं लिया गया बल्कि करीब एक हफ्ते पहले ही तय कर लिया गया था. जानकारी के मुताबिक इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच एक अहम मुलाकात भी हुई थी, जिसमें एक सर्वे रिपोर्ट का जिक्र किया गया.


सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के पास जो सर्वे मौजूद था, उसमें यह बताया गया था कि बीजेपी अगर मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में जाती है तो वहां पर जाट वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है और वो बीजेपी के खिलाफ जा सकता है. 


मनोहर लाल खट्टर से नाराज हैं जाट वोटर्स?


सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के सर्वे में निकल कर आया था कि जाट वोटर्स मनोहर लाल खट्टर से बहुत ज्यादा खुश नहीं हैं. ऐसे में वह आगामी चुनाव में कांग्रेस के साथ जुड़ सकता है. बीजेपी के आला नेतृत्व के बीच हुई इस बैठक के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी इस पर चर्चा की गई और उसके बाद ये तय किया गया कि मुख्यमंत्री का चेहरा बदला जाएगा. सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इसको लेकर उस दौरान कोई फैसला नहीं हुआ था.


खट्टर की सहमति से तय हुआ सीएम का नया चेहरा?


जानकारी के मुताबिक दोनों पर्यवेक्षक अर्जुन मुंडा और तरुण चुघ को सोमवार (11 मार्च) को देर शाम बीजेपी आला नेतृत्व की तरफ से चंडीगढ़ जाने को कहा गया और सुबह उनको बताया गया कि वहां बीजेपी के विधायक की बैठक है, जिसमें मुख्यमंत्री के इस्तीफे की बात होगी और बाद में नए मुख्यमंत्री का चुनाव होगा. सूत्रों के मुताबिक नायब सिंह सैनी का चेहरा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सहमति से ही चुना गया है. 


बीजेपी का मानना है कि मुख्यमंत्री के चेहरे में हुए इस बदलाव और कैबिनेट के नए स्वरूप से जो जाटों के वोटों के ध्रुवीकरण की आशंका बन रही थी, वो खत्म हो जाएगी और आगामी चुनाव में बीजेपी को उसका फायदा मिलेगा.


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