Chandigarh News: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ नगर निगम के नतीजों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इसके बाद इंडिया गठबंधन के मेयर पद के उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने अपनी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की है. शुक्रवार को कुलदीप कुमार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई के लिए आदेश देने की मांग की.


चंडीगढ़ प्रशासन और सीएमसी से मांगा जवाब
सीजेआई चंद्रचूड़ ने सिंघवी से कहा कि कृपया एक ईमेल भेजें. हम इस पर गौर करेंगे. दरअसल, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मेयर पद के लिए पिछले सप्ताह हुए चुनाव नतीजों पर रोक लगाने वाला अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया. इसके बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद कुलदीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को आप और कांग्रेस पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार कुलदीप कुमार द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें पीठासीन अधिकारी पर मतगणना प्रक्रिया में धोखाधड़ी और जालसाजी का सहारा लेने का आरोप लगाया गया था. हाईकोर्ट ने इस मामले में चंडीगढ़ प्रशासन और सीएमसी से जवाब मांगा और प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.


कांग्रेस-आप गठबंधन को करना पड़ा हार का सामना
इंडिया ब्लॉक के कांग्रेस-आप गठबंधन को मंगलवार को एक बड़ा झटका लगा. नगर निगम में सत्तारूढ़ भाजपा ने केवल चार वोटों से जीत हासिल करके लगातार नौवीं बार मेयर पद की सीट बरकरार रखी. सबसे ज्यादा पार्षद होने के बावजूद आप-कांग्रेस गठबंधन सीट हार गया. पीठासीन प्राधिकारी अनिल मसीह ने 36 में से आठ वोटों को अवैध घोषित कर दिया. बीजेपी भाजपा को 16 वोट मिले, जबकि, आप-कांग्रेस गठबंधन के पास 20 पार्षद होने के बावजूद 12 वोट थे. 


‘रिटायर जज की निगरानी में नए चुनाव करवाने की मांग’
हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में, आप-कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार ने प्रैक्टिस और नियमों को पूरी तरह से छोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि पीठासीन अधिकारी ने पार्टियों के उम्मीदवारों को वोटों की गिनती की निगरानी करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. कुलदीप कुमार ने मांग की कि हाईकोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से नये चुनाव करवाया जाएं, ताकि इसकी निष्पक्षता बरकरार रहे. याचिका में कहा गया है, 'पीठासीन अधिकारी ने बहुत ही कमजोर तरीके से सदन को संबोधित किया कि वह चुनाव लड़ रहे दलों द्वारा नामित सदस्यों से कोई सहायता नहीं चाहते हैं और वह वोटों की गिनती खुद करेंगे. 


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