Punjab Farmer Protest: जालंधर में नेशनल हाईवे के बाद अब किसानों ने रेलवे ट्रैक पर जमाया डेरा, 80 ट्रेनें प्रभावित
Farmer Protest In Punjab: पंजाब में किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. हाईवे के बाद किसान रेल ट्रैक पर धरना देने के लिए पहुंच गए. जिसकी वजह से करीब 80 ट्रेनें प्रभावित हुए है.

Punjab News: पंजाब में किसानों का आंदोलन और उग्र होता जा रहा है. गन्ने का रेट बढ़ावाने को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे है. पहले किसानों ने जालंधर में नेशनल हाईवे को जाम किया था. अब उन्होंने रेलवे ट्रैक पर जाकर धरना दे दिया है. जिसके बाद से ट्रेनें प्रभावित होने लगी है. रेलवे के अनुसार इस ट्रैक से रोजाना करीब 120 ट्रेनों की आवाजाही होती है. गुरुवार को 40 ट्रेनें तो निकल चुकी थी लेकिन अब 80 ट्रेनों को डायवर्ट करने के लिए रेलवे के अधिकारियों ने बैठकें करनी शुरू कर दी है.
किसानों को नहीं रोक पाया पुलिस बल
रेलवे ट्रैक पर धरना देने की संभावना को देखते हुए पहले ही भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, लेकिन किसान भी भारी संख्या में पहुंचते तो पुलिस बल उन्हें रोक नहीं पाया और उन्होंने रेलवे ट्रैक पर जाकर धरना दे दिया. आपको बता दें कि जालंधर के धन्नो वाली के पास किसान पिछले तीन दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे है. जिसकी वजह से दिल्ली-जम्मू हाईवे पूरी तरह से बंद हो गया है.
फगवाड़ा में शताब्दी ट्रेन को रोका गया
किसानों के रेलवे ट्रैक पर बैठने के साथ ही ट्रेनों का प्रभावित होना जारी है. कपूरथला के फगवाड़ा में शताब्दी एक्सप्रेस को रोक दिया गया. वहीं जालंधर कैंट रेलवे स्टेशन के पास प्रदर्शन होने के चलते आम्रपाली एक्सप्रेस को जालंधर सिटी स्टेशन पर रोका गया है.
किसानों ने चंडीगढ़ कूच का बनाया था प्लान
आपको बता दें कि किसानों की तरफ से बुधवार को चंडीगढ़ में कूच करने का प्लान बनाया गया था. लेकिन वो नहीं हो पाया. किसानों का कहना है कि जब तक सरकार गन्ने का रेट बढ़ाने की मांग नहीं मान लेती तब तक उनका धरना जारी रहेगा. किसानों का कहना है कि अब 26 नवंबर को चंडीगढ़ कूच करेंगे. आपको बता दें कि हाईवे जाम कर रहे किसानों को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान की तरफ से कल एक्स पर पोस्ट की गई थी.
सीएम मान ने अपनी पोस्ट में लिखा था कि किसान यूनियनों से मेरा अनुरोध है कि हर बात के लिए सड़कें बंद करके आम लोगों को अपने खिलाफ न करें. सरकार से बात करने के लिए चंडीगढ़ का पंजाब भवन, सचिवालय, कृषि मंत्री का कार्यालय और मेरा कार्यालय घर पर ही है. सड़कें नहीं, अगर यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब धरना देने के लिए लोग नहीं मिलेंगे. लोगों की भावनाओं को समझें.
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