Karnal News: भारत का पहली क्लोन बछिया, करनाल के NDRI संस्थान के वैज्ञानिकों का कमाल
Chandigarh: इस बछिया का जन्म 16 मार्च को हुआ था लेकिन 10 दिनों तक उसके स्वास्थ्य को जांचने के बाद रविवार को इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक की गई. बछिया का वजन 32 किलोग्राम है और वह बिल्कुल स्वस्थ है.
Haryana News: करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पहली बार गिर गाय के पहले स्वदेशी क्लोन के बछड़े को पैदा करने में सफलता हासिल की है. इस बछिया का जन्म 16 मार्च को हुआ था लेकिन 10 दिनों तक उसके स्वास्थ्य को जांचने के बाद रविवार को इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक की गई. इसका नाम गंगा रखा गया है. जानकारी के मुताबिक बछिया का वजन 32 किलोग्राम है और वह बिल्कुल स्वस्थ है.
कैसे होती है गिर गाय की क्लोनिंग
इस प्रोजेक्ट में शामिल वैज्ञानिकों की टीम ने कहा कि गिर का क्लोन बनाने के लिए ओसाइट्स (अंडक) को अल्ट्रासाउंड वाली सूइयों का उपयोग करके जीवित जानवरों से अलग किया जाता है और फिर नियंत्रण स्थितियों में 24 घंटे के लिए परिपक्व किया जाता है. इसके बाद बढ़िया किस्म की गायों के शरीर की कोशिकाओं का उपयोग दाता जीनोम के रूप में किया जाता है, जो ओपीयू-व्युत्पन्न एनुक्लाइड ओसाइट्स के साथ जुड़े होते हैं. रासायनिक सक्रियता और इन-विट्रो कल्चर के बाद विकसित ब्लास्टोसिस्ट को गिर बछड़े को जन्म देने के लिए प्राप्तकर्ता माताओं में स्थानांतरित किया जाता है.
'काफी चुनौतीपूर्ण था क्लोनिंग का काम'
(DARE) के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक हिमांशु पाठक और एनडीआईआर के निदेशक और कुलपति धीर सिंह ने इस उपलब्धि के लिए वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी. पाठक ने जानकारी साझा करने हुए कि NDRI ने कहा कि उत्तराखंड पशुधन विकास बोर्ड (ULDP) देहरादून के सहयोग से डॉ. एमएस चौहान, पूर्व निदेशक, एनडीआरआई के नेतृत्व में गिर, साहीवाल और रेड शिंडी जैसी देशी गायों की क्लोनिंग का काम शुरू किया और सफलता प्राप्त की. उन्होंने कहा कि कुछ व्यावहारिक और परिचालन कठिनाइयों के कारण गायों की क्लोनिंग का यह प्रयोग काफी चुनौतीपूर्ण था.
'क्लोन से अच्छी गिर नस्लों की गायों की कमी होगी पूरी'
उन्होंने कहा कि इस तकनीक में भारतीय डेयरी किसानों के लिए अधिक दूध का उत्पादन करने वाली देशी नस्ल की गायों की आवश्यकता को पूरा करने की क्षमता है. NDRI के डायरेक्टर धीर सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक की टीम दो सालों से अधिक समय से क्लोन पशुओं का उत्पादन करने का देशी तरीके इजाद करने पर काम कर रही थी.
दुनिया भर में मशहूर हैं गिर नस्ल की गायें
उन्होंने कहा कि गुजरात की देशी नस्ल गिर अपने विनम्र स्वभाव और दूध की गुणवत्ता को लेकर डेयरी किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है. उन्होंने कहा कि भारत के बाहर गिर मवेशी बहुत लोकप्रिय हैं और ज़ेबू गायों के विकास के लिए ब्राजील, संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको और वेनेजुएला को निर्यात किए गए हैं. गौरतलब है कि संस्थान ने 2009 में दुनिया की पहली क्लोन भैंस का उत्पादन किया था.
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