Punjab News: पंजाब सरकार शहीद करतार सिंह सराभा के शहीदी दिवस पर छुट्टी का ऐलान करने वाली है. 16 नवंबर को शहीद करतार सिंह सराभा का शहीदी दिवस मनाया जाएगा. इस दौरान शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ, निगमों और सरकारी कार्यालयों की छुट्टी रहेगी. इसके लिए एक आधिकारिक विज्ञप्ति जारी की जा सकती है. आपको बता दें कि शहीद भगत करतार सिंह सराभा को अपना गुरु मानते थे. अपनी मां को तस्वीर दिखाते हुए एक बार भगत सिंह ने कहा था ये मेरे हीरो, दोस्त और साथी है.
जानिए कौन थे करतार सिंह सराभा
करतार सिंह सराभा का जन्म 24 मई, 1896 को पंजाब के लुधियाना के सराभा गांव में हुआ था. सराभा के बचपन के शुरूआती साल गांव में ही बीते थे, वो जब आठ साल के थे तब उनके पिता की मौत हो गई थी. पिता के निधन के बाद उनके दादा ने उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया. बचपन में ही उनके अंदर एक लीडर के गुण आ गए थे. नौवीं की पढ़ाई करते वो अपने चाचा बख्शीश सिंह के पास ओडिशा के कटक चले गए थे. यहां उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की.
17 साल की उम्र में ली गदर पार्टी की सदस्यता
करतार सिंह सराभा महज 17 साल की उम्र में अपनी सोच और जीने के मकसद को बदल लिया था. 17 साल की उम्र में उन्होंने गदर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी. इसके अलावा वो गदर पत्रिका के संपादक भी रहे, अपने लेखों और कविताओं के माध्यम से उन्होंने नौजवानों को क्रांति के साथ जोड़ने का काम किया.
19 साल की उम्र में दी गई फांसी
16 नवंबर 1915 को भारत में एक बड़ी क्रांति योजना के सिलसिले में अंग्रेजी सरकार ने बख्शीस सिंह, जगत सिंह, विष्णु गणेश पिंगले, हरनाम सिंह व सुरेण सिंह के साथ उन्हें भी फांसी दे दी थी. उस समय उनकी आयु महज 19 साल थी.
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