Punjab: करतार सिंह सराभा के शहीदी दिवस पर CM मान ने दी श्रद्धांजलि, बोले- ‘कर्मों और भागों वाली धरती को नमन’
Kartar Singh Sarabha Martyrdom Day: शहीद करतार सिंह सराभा के शहीदी दिवस पंजाब के सीएम भगवंत मान उनके पैतृक गांव पहुंचे. उन्होंने कहा कि आदमी बड़ा सालों से नहीं ख्यालों से होता है.
Punjab News: शहीद करतार सिंह सराभा (Kartar Singh Sarabha) के शहीदी दिवस के अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) गुरुवार को उनके पैतृक गांव पहुंचे, जहां उन्होंने शहीद करतार सिंह सराभा की मूर्ति पर फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान लुधियाना (Ludhiana) जिले के गांव सराभा में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया था. इस दौरान सीएम मान ने कहा कि आज उस कर्मों और भाग्यों वाली धरती को हम नमन करने के लिए आए है जिस धरती ने करतार सिंह सराभा जैसा योद्धा पैदा किया.
सीएम मान ने कहा, "परमात्मा किसी-किसी को ही ये मौका देता है, वो देश के काम आएं. अपनी कौम के काम आए, ये सेवा किसी-किसी को ही मिलती है. नहीं तो गांवों में 90-95 साल बुजुर्ग भी अपनी चारपाई पर लेटे मौत का इंतजार करते हैं. उनके गांवों के लोगों को पता भी नहीं रहता है कि वो बुजुर्ग जिंदा है या नहीं. इतनी गुमनाम जिंदगी होती है. वहीं 19 साल के करतार सिंह सराभा, 23 साल के भगत सिंह, सुखदेव सिंह ने सारी दुनिया जब तक रहेगी उनके दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे." सीएम मान ने कहा आदमी बड़ा सालों से नहीं आदमी बड़ा ख्यालों से होता है. उनके ख्याल बड़े थे.
ਪ੍ਰਣਾਮ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਨੂੰ... ਸ਼ਹੀਦ ਕਰਤਾਰ ਸਿੰਘ ਸਰਾਭਾ ਜੀ ਦੇ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਿਵਸ ਮੌਕੇ ਰਾਜ ਪੱਧਰੀ ਸਮਾਗਮ ਦੌਰਾਨ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਲੁਧਿਆਣਾ ਦੇ ਪਿੰਡ ਸਰਾਭਾ ਤੋਂ Live... https://t.co/mnl1u8GgXr
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) November 16, 2023 [/tw]
‘लोगों का कसूर नहीं है वो सिस्टम से दुखी’
सीएम मान ने आगे कहा कि आज शहीदों की याद में मेले लग रहे हैं. उनकों भी गर्व है वो भी इस शहीदों की धरती के एक हिस्से में ही पैदा हुए हैं. उन्होंने कहा कि वो अपने आप को पैर की धूल के तिनके के बराबर भी नहीं समझते है, ये वो उन शहीदों के विचारों के अनुरूप अगर थोड़ा बहुत भी कुछ कर पाए तो सब कुछ ठीक हो जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अपने देश को ही बेगाना समझने लगे, पंजाब को ही बेगाना समझने लगे इसे छोड़-छोड़कर जा रहे हैं. शहीदों की आत्मा ये सोचकर तड़फ रही होगी कि क्या आजादी इसलिए लेकर दी थी कि तुम फिर उन अंग्रेजों के पास जाओं, मां की बालियां बेचकर, पिता की जमीन बेचकर विदेश जाने में लगे हैं. लेकिन, इसमें उन लोगों का कसूर नहीं है बल्कि वो सिस्टम से दुखी हैं.
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