Karwa Chauth 2023: दिल्ली से सटे साइबर सिटी गुरुग्राम में सुहागन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत किया.  सुबह से ही महिलाएं भूखी प्यासी रहती हैं और दोपहर में पति की लंबी आयु के लिए कहानी सुनकर लंबी उम्र की कामना करती हैं. सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बुधवार (1 नवंबर) को करवा चौथ का व्रत रखकर भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश का पूजा किया. आधुनिकता के इस दौर और बदलते परिवेश में भी करवाचौथ का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है. अब युवतियां भी योग्य पती के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं. बड़ी संख्या में युवतियों ने भी करवा चौथ का व्रत रखकर मनचाहा पति की कामना की.


गुरुग्राम में परिवार की वृद्ध महिलाओं ने विवाहित महिलाओं को करवाचौथ की कथा सुनाई और उन्हें सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद भी दिया. करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर सुहागन महिलाएं अपना व्रत खोलकर बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लेती हैं.


कब और कैसे शुरू हुआ करवा चौथ का त्योहार? 


करवाचौथ पर्व को लेकर कहावत है कि प्राचीन समय में एक साहूकार के 7 बेटे और उनकी एक बहन थी, जिसका नाम करवा था. सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे. पहले उसे खाना खिलाते और बाद में खुद खाते थे. शादी के बाद एक बार जब उनकी बहन मायके आई हुईं थी तो चतुर्थी के व्रत वाले दिन शाम को जब भाई खाना खाने बैठे तो अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे. बहन ने बताया कि आज उसका व्रत है और वह खाना चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही खा सकती है.


सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं गई और वह दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी की ओट में रख दिया, जिससे प्रतीत हो कि चतुर्थी का चांद निकल आया है. बहन चंद्रमा को अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है. जैसे ही वह पहला निवाला मुंह में डालती है उसे छींक आ जाती है. दूसरा निवाला डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और तीसरा निवाला मुंह में डालती है तभी उसके पति की मृत्यु का समाचार आ जाता है, जिससे वह बेहद दुखी हो जाती है.


तब उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ.  व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं. इस पर करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी. वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रही और उसकी देखभाल करती रही. उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती. तभी से सुहागन महिलाओं ने इस पर्व को धूमधाम से अपने पति की लंबी उम्र के लिए मनाती आ रही हैं. बाजारों में भी महिलाओं की भारी भीड़ दिखाई दी. (राजेश यादव की रिपोर्ट)


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