Haryana News: लोकसभा चुनाव 2024 होने में अब 11 माह शेष रह गया है. देश के अन्य राज्यों की तरह हरियाणा में भी चुनावी जीत हासिल करने के लिए विपक्षी दलों के नेता एक मंच पर आने की रणनीति बनाने में जुटे हैं. ताकि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को लोकसभा चुनाव में सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना संभव हो सके. इसको लेकर सियासी दलों के बीच हर स्तर पर कवायद जारी है. बिहार की राजधानी पटना में 23 जून 2023 को विपक्षी दलों की बैठक अपेक्षा के अनुरूप सियासी असर न छोड़ने के बावजूद हरियाणा में किसान आंदोलन, दिल्ली अध्यादेश, पहलवानों के मुद्दे, बेरोजगारी, महंगाई सहित अन्य अहम मसलों पर विपक्षी दलों के नेता बीजेपी नेतृत्व के साथ मनोहर लाल खट्टर सरकार को घेरने में जुटे हैं, लेकिन उसका असर जनमानस पर बहुत कम है.
वर्तमान में स्थिति यह है कि विपक्षी दलों नेता हरियाणा में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को चुनौती देने के लिए दिल्ली व अन्य राज्यों की तरह कवायद में जुटे हैं, लेकिन विपक्षी दलों का एकजुट होना मुश्किल है. ऐसा इसलिए कि यहां पर कांग्रेस, आप और इनेलो के नेताओं के बीच अहम का टकराव विपक्षी एकता की राह में सबसे बड़ी बाधा है. अगर दिल्ली अध्यादेश के मसले पर आप और कांग्रेस में सहमति नहीं बनी तो हरियाणा में आप का अगल से चुनाव लड़ना तय है. कांग्रेस और इनेलो हर नजरिए व हमेशा से विरोधी विचारधारा में पार्टियां हैं. जहां तक जेजीपी की बात है तो वो अभी सत्ताधारी पार्टी के साथ है. बीजेपी का दावा है कि वो मिलकर चुनाव लड़ेंगे. कुल मिलाकर हरियाणा में अभी सियासी दलों का रुख स्पष्ट होकर सामने आना का काम बाकी है. इसके बावजूद विपक्षी दलों के नेता इस बात पर सहमत हैं कि सभी को एक साथ चुनाव लड़ने की जरूरत है.
रूझान बरकरार
बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद टाइम्स नाउ नवभारत जन गण का मन के सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है. हालांकि, हारियाणा में आज हुए चुनाव तो किसको कितना वोट मिलेगा, नाम से कराए गए सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों की बात करें तो विपक्ष दलों की पटना में बैठक के बाद भी 2024 चुनाव पर उसका असर होता दिखाई नहीं देता. न्यूज चैनल के सर्वे के अनुसार हरियाणा की 10 से 8 सीटों पर इस बार भी बीजेपी प्रत्याशियों की जीत का अनुमान है. एक से तीन सीटों पर कांग्रेस की जीत का अनुमान है. जबकि इनेलो के खाते में शून्य तो अन्य पार्टियों के खाते में एक सीटों जाने का अनुमान है. यानी आगामी लोकसभा चुनाव में भी हरियाणा में भी भारतीय जनता पार्टी की जीत तय है. ताजा सर्वे में हरियाणा के मतदाताओं ने केंद्रीय नेतृत्व यानी पीएम नरेंद्र और अमित शाह के के प्रति अपना स्पष्ट रझान दिखाया है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी 10 में से 7 सीटें जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी. दो इनेलो और एक कांग्रेस के खाते में गई थी. साल 2014 में बीजेपी के खाते में 34.7 प्रतिशत, कांग्रेस के खाते में 29.9 प्रतिशत और इनेलो के खाते में 24.4 प्रतिशत, एचजेसी बीएल कुलदीप बिश्नोई के खाते में 6.1 प्रतिशत, बसपा के खाते में 4.6 और अन्य के खाते मे 4.2 प्रतिशत वोट गिरे थे. बीजेपी के प्रत्याशी अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, सोनीपत, भिवानी-महेंद्रगढ़, गुड़गांव और फरीदाबाद की सीटों पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी. बीजेपी के जीतने वाले प्रत्याशियों में रतन लाल कटारिया, राजकुमार सैनी, अश्विनी कुमार चोपड़ा, रमेश चंद्र कौशिक, धर्मबीर सिंह, राव इंद्र जीत सिंह और कृष्णपाल गुर्जर शामिल थे. रोहतक सीट पर कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा और सिरसा व हिसार सीट पर इनेलो के चरणजीत सिंह रोरी और दुष्यंत चौटाला चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे.
समर्थकों के लिहाज से BJP पहले से ज्यादा मजबूत
साल 2019 चुनाव की बात करें तो बीजेपी हरियाणा की सभी 10 में से 10 सीटों पर लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब हुई थी. बीजेपी को 58.21 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन मिला था. जबकि कांग्रेस के खाते में 28.51 प्रतिशत, जननायक जनता पार्टी के खाते में 4.9, बीएसपी के खाते में 3.65 प्रतिशत, आईएनएलडी को 1.9 और नोटा को 1.7 प्रतिशत वोट मिले थे. साल 2019 में बीजेपी के टिकट पर रतन लाल कटालिया, नायब सिंह, सुनीता दुग्गल, बृजेंद्र सिंह, संजय भाटिया, रमेश चंद्र कौशिक, अरविंद कुमार शर्मा, धरमबीर, राव इंद्रजीत सिंह और कृष्णपाल गुर्जर चुनाव जीतने में कामयाब हुए. इस बार भी किसान आंदोलन, पहलवानों के प्रदर्शन सहित अन्य मुद्दों पर बीजेपी को विपक्ष दलों के नेता बीजेपी को घेरने में जुटी है, लेकिन ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक बीजेपी को इससे ज्यादा नुकसान की आशंका नहीं है और पार्टी की पहले से ज्यादा मजबूत है.