Haryana News: लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा कांग्रेस में हलचल तेज हो गई है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह संगठन का विस्तार है. आखिरकार 9 साल बाद कांग्रेस ने अब प्रदेश में संगठन विस्तार की ठानी है. 2014 और 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हार से सबक लेते हुए इस बार कांग्रेस चुनावी साल से पहले ही संगठन का विस्तार कर देगी. संगठन विस्तार को लेकर हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने पूरी तैयारी कर ली है.
‘गुटों की नीति नहीं होगी कामयाब’
हरियाणा कांग्रेस के इन दोनों गुटों से हमेशा अपने-अपने खेमों के कार्यकर्त्ताओं को एकजस्ट किया जाता है. लेकिन इस बार इन दोनों गुटों की ये नीति काम नहीं करने वाली है. क्योंकि हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि संगठन की नियुक्ति में किसी भी तरह की कोई सिफारिश या कोटा नहीं चलेगा. कोशिश की जाएगी कि सर्वेसम्मति से जिला अध्यक्ष बनाए जाएं. फिर भी अगर नेताओं की वजह से कही टकराव हुआ तो मामला हाईकमान के पास पहुंचाया जाएगा और वहां से आया आदेश सभी को मानना होगा.
‘पर्येवेक्षक जुटाएंगे फीडबैक’
दीपक बाबरिया की तरफ से कहा गया है कि हर जिले में पर्येवेक्षक भेंजे जाएंगे, जो वहां जाकर फीडबैक जुटाएंगे और फिर उसी आधार पर जिलाअध्यक्षों की नियुक्ति होगी. दूसरे राज्यों के पर्येवेक्षकों को ये काम सौंपा जाएगा. सितंबर के पहले सप्ताह में पर्येवेक्षकों की टीमें जिलों में पहुंचेगी. जिसमें दो-दो नेता शामिल होंगे, इस टीम में तीन सदस्य होंगे. पर्येवेक्षकों की नियुक्ति इसी महीने की जा सकती है.
‘मेहनती लोगों को मिलेगा मौका’
कांग्रेस प्रदेश प्रभारी बाबरिया का कहना है कि पर्येवेक्षकों के फीडबैक के आधार पर सीनियर नेताओं के साथ बैठकर मंथन किया जाएगा, जिसके बाद सभी की सहमति से नियुक्ति की जाएगी. मेहनती कार्यकर्त्ताओं को संगठन में जगह दी जाएगी.
‘सीनियर नेताओं के साथ भी होगा मंथन’
बाबरिया ने बताया कि प्रदेश में 33 जिलाअध्यक्षों की नियुक्ति होगी. कुछ जगह ग्रामीण और शहरी जिलाअध्यक्ष भी बनाए जाएंगे. जिलाअध्यक्षों के लिए आने वाले नामों पर सर्वसम्मति से फैसला लेने की कोशिश होगी. प्रदेश के सीनियर नेताओं से बैठक करके उनकी सहमति बनाई जाएगी. अगर कही सहमति नहीं बनती है तो हाईकमान के पास मामला पहुंचा दिया जाएगा. लोकसभा और विधानसभा चुनाव करीब होने के चलते कांग्रेस जातीय समीकरण भी साधने का काम करेगी ताकि सभी वर्गों को एक संदेश दिया जा सके.
‘2014 से बिना संगठन के चल रही कांग्रेस’
हरियाणा कांग्रेस 2014 से ही बिना संगठन के चल रही है. उस समय प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के साथ संगठन भी भंग कर दिया गया था. उनके बाद कुमारी शैलजा भी तीन साल प्रदेश अध्यक्ष रही लेकिन तब भी संगठन नहीं बना. अब संगठन को लेकर राहुल गांधी भी गंभीर नजर आ रहे है उन्होंने बाबरिया को जल्द से जल्द संगठन बनाने के निर्देश दिए है.
‘कांग्रेस के दोनों गुटों में बढ़ी सक्रियता’
हरियाणा कांग्रेस में खींचतान अभी भी जारी है. एक तरफ जहां पूर्व मुख्यमंत्री भपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान, दूसरी तरफ टीम एसआरके यानि शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी इन दोनों गुटों की सक्रियता बढ़ गई है वहीं अब कार्यकर्ताओं को भी एक्टिव मोड में लाने की तैयारी हो रही है. जिसके लिए संगठन खड़ा करने की तैयारी तेज हो गई है.
‘संगठन ना होने से मिली हार’
संगठन ना होने की वजह से कांग्रेस ने 2014 के लोकसभा और विधानसभा में शिकस्त खाई. इसके अलावा 2019 के भी लोकसभा और विधानसभा में उसे हार का सामना करना पड़ा. नेताओं की तरफ से हर बार कहा गया कि संगठन ना होने की वजह से चुनाव हारे है.