दिलों के बीच न दीवार है न सरहद है,
दिखाई देते हैं सब फ़ासले नज़र के मुझे...
शायद मशहूर उर्दू शायर ज़फ़र सहबाई ने ये शेर दो अलग- अलग देशों में रहने वाली दो दिलों के मिलन पर लिखा था. उनकी ये शायरी आज एक बार फिर कल्पनाओं से निकल कर वास्तविकत के धरातल पर चरितार्थ होती दिख रही है, जब सरहद पार पाकिस्तान के ऐतिहासिक शहर लाहौर की रहने वाली शहलीन जावेद और पंजाब के रहने वाले नमन लूथरा की शादी 2023 में हुई. इन दोनों की पहली मुलाकात से लेकर शादी तक का सफर बहुत ही दिलचस्प रहा. कहने को दो दुश्मन देश जिसकी सरहदों पर गाहे बगाहे बंदूकों के तड़तड़ाहट से दोनों तरफ का सियासी का माहौल तनावग्रस्त हो जाता है, दोनों देश एक दूसरे के यहां के बाशिंदों को शक के निगाह से देखते हैं.
इन सब मुश्किल हालातों के बावजूद दोनों ने न सिर्फ मोहब्बत की बल्कि अलग- अलग धर्मों के होने बावजूद भी एक दूसरे के साथ जिंदगी भर जीने मरने की कसम खाकर शादी के बंधन में बंधे. भारत के पंजाब के रहने वाले नमन लूथरा पेशे से एक वकील हैं, उनके पूर्वज बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत चले आए थे. नमन के कुछ रिश्तेदार अभी सरहद पार लाहौर में रहते हैं. सन 2015 में नमन अपनी दादी और मां को लेकर लाहौर गए थे, यहीं उनकी मुलाकात शहलीन जावेद से हुई. शहलीन उनके दूर के रिश्तोदारों में आती हैं. इस पहली मुलाकात के बाद नमन भारत वापस आगए लेकिन सोशल मीडिया के जरिये दोनों की एक दूसरे से बातचीत जारी रही और जल्द ही उनकी ये बातचीत प्यार में बदल गई.
मूलरुप से पंजाब के गुरदासपुर जिले के बटाला के रहने वाले नमन लूथरा को इस रिश्ते के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. दरअसल शहलीन जावेद का ताल्लुक ईसाई मजहब से है जबकि नमन का ताल्लुक हिंदू मजहब से है. नमन के पिता गुरविंदर पाल सिंह शुरुआत में शादी के लिए राजी नहीं थे. वहीं नमन की मां योगिता लूथरा के मुताबिक जब उनके बेटे ने सरहद पार शादी करने का फैसला किया तो उन्हें झटका लगा. शहलीन के घर वाले भी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे. शहलीन के रिश्तेदारों ने उनकी फैमिली को मशविरा दिया कि रिश्ता घर के ही करीब करनी चाहिए. हालांकि इस रिश्ते के लिए नमन और शहलीन दोनों राजी थे लेकिन इसमें सबसे अहम भूमिका नमन की दादी ने निभाई.
शादी को लिए करनी पड़ी मशक्कत
नमन और शहलीन की मोहब्ब को आखिरकार नमन के पिता ने इस शर्त के साथ मंजूरी दी कि दोनों की शादी भारत के बटाला में ही होगी. जिसके बाद नमन की दादी पाकिस्तान उनका रिश्ता लेकर पहुंची और सन 2016 में दोनों परिवारों की मंजूरी मिलने के बाद मंगनी कर दी गई. दोनों परिवारों ने मंगनी के बाद फैसला किया था कि 2018 में शहलीन की विदाई कर दी जाएगी. शहलीन जावेद के मुताबिक मंगनी के बाद 2018 में वह अपनी मां और खाला (मौसी) के साथ भारत गई थीं जहां उन्होंने नमन के परिवार से मुलाकात की. भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की तल्खी को देखते हुए जल्दी विदाई मुश्किल थी. 2019 के शुरु होते ही वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया की रफ्तार को रोक दिया. भारत और पाकिस्तान सभी देशों ने अपनी सरहदों की सील कर दिया साथ ही अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी.
तीन बार वीजे के लिए शहलीन के परिवार ने किया अप्लाई
कोरोना के मामलों में कमी के बाद धीरे- धीरे दोनों देशों की सरकारों ने पाबंदियों को खत्म करना शुरुक कर दिया. जिसके बाद शहलीन के परिवार ने 2021 में शादी की नियत से भारत के वीजे के लिए अप्लाई किया, लेकिन नकामी हाथ लगी. लगभग 6 महीने बाद 2022 में उन्होंने फिर से वीजे के लिए अप्लाई किया, लेकिन इस बार भी उन्हें वीजा नहीं मिला. इस साल यानि मार्च 2023 में शहलीन सहित उनके परिवार के सिर्फ तीन लोगों ने वीजे के लिए अप्लाई किया और इस बार उन्हें भारत का वीजा मिलने कामयाबी मिल ही गई.
अपनी मां के साथ पंजाब के बटाला पहुंची शहलीन और नमन की शादी रस्म 15 दिनों तक अदा की गई. मंगनी और शादी के लिए इस जोड़े को काफी लंबा इंतेजार करना पड़ा. हालांकि दोनों ने एक दूसरे से सोशल मीडिया और टेलीफोन के जरिये लगातार एक दूसरे के संपर्क में बने रहे, लेकिन शहलीन और नमन के मिलने की ख्वाहिश बरकरार रही. ऐसे में दोनों अपने परिवारों के साथ 2019 में करतारपुर साहब में गुरुनानक के 550वीं जयंती पर मिले. जब पाकिस्तान ने भारत के नागरिकों के लिए अपनी सरहद को खोल दिया था.
पाकिस्तान में है नमन का ननिहाल
बीबीसी उर्द में छपी खबर के मुताबिक, नमन लूथरा के नाना-नानी के साथ दादा- दादी का ताल्लुक पाकिस्तान से है. आजादी के बाद नमन के दादा- दादी पलायन करके भारत के पंजाब में आकर बस गए, जबकि उनके नाना और नानी ने स्वेच्छा से पाकिस्तान में ही रहने का फैसला किया. नमन की पत्नी शहलीन रिश्ते में उनके दादी की दूर की पोती लगती है. नमन के अभी भी कई रिश्तेदार पाकिस्तान में रहते हैं. शादी को लेकर नमन के परिवार वालों के मुताबिक गुरदासपुर के सांसद और मशहूर फिल्म अभिनेता सन्नी देओल और बटाला एमएलए अमन शेर सिंह शेरी कलसी ने शहलीन के परिवार को वीजा दिलाने मदद की, जिससे उन्हें बहुत आसानी हुई.
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