Punjab News: लुधियाना की घनी आबादी वाले ग्यापुरा में जहरीले गैस के रिसाव के दो दिनों के बाद स्थानीय लोग अपने-अपने घरों में लौटने लगे हैं लेकिन अब भी वे सदमे हैं व हादसे से उबरने की कोशिश कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल को हुए गैस रिसाव की चपेट में आकर 11 लोगों की मौत हो गई थी। संदेह है कि सीवर में ‘हाइड्रोजन सल्फाइड’ नामक गैस बनी और जिसका इलाके में रिसाव हुआ.
घरों में वापस लौटने लगे लोग
अपर उपायुक्त अमरजीत सिंह बैंस ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) ने सोमवार रात को बचाव एवं राहत कार्य संपन्न किया. एनडीआरएफ ने ‘मेनहोल’ से नमूने लिए और आसपास के वायुगुणवत्ता की जांच की जिसमें ‘हाइड्रोजन स्लफाइड’ का अंश नहीं मिला. उन्होंने बताया कि अब केवल 60 गज इलाके की घेराबंदी की है और विभिन्न विभागों एवं एजेंसियों से सलाह लेने के बाद उक्त घेराबंदी हटाने का फैसला किया गया. घटना के बाद आसपास के कई लोग अपने घरों को खाली कर रिश्तेदारों के घर चले गए थे परंतु अब वे लौटने लगे हैं. हालांकि, लौट रहे लोग अब भी सदमे हैं.
लोगों के मन में अब भी बना भय
मूल रूप से बिहार निवासी और ग्यासपुरा में किराने की दुकान चला रहे लवकुश ने कहा कि वह अब भी भयभीत हैं. उन्होंने कहा कि अबतक घटना के कारणों की जानकारी नहीं है और अधिकारियों से भविष्य में ऐसी घटना को रोकने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की. उत्तर प्रदेश के मूल निवासी सचिन उस दिन को याद करते हुए कहते हैं कि जब इलाके में जहरीली गैस फैली तो वह भागकर ‘सुरक्षित इलाके’ में गए.
वडिंग ने पीड़ित परिवारों से की मुलाकात
पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू के साथ मंगलवार को ग्यासपुरा गए और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. वडिंग ने संवाददाताओं से कहा कि उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए और मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सुना कि सीवर से निकली जहरीली गैस से इतने लोगों की जान गई. उन्होंने घटना के दोषियों पर हत्या का मुकदमा चलाने की मांग की. आपको बता दें कि घटना में मारे गए 11 लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले थे. ग्यासपुरा में प्रवासी लोगों की खासी संख्या है और इलाके में कई औद्योगिक एवं आवासीय भवन स्थित हैं.
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