(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mukhtar Ansari Death: क्यों पंजाब की जेल में बंद था मुख्तार अंसारी? यूपी लाने को लेकर 2 सरकारें हो गई थीं आमने-सामने
Mukhtar Ansari Died: गैंगस्टर मुख्तार अंसारी करीब 2 साल तक पंजाब की जेल में रहा था. उसे वापस यूपी लाने के पुलिस को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था. दो राज्यों की सरकारें भी आमने-सामने हुई थीं.
Mukhtar Ansari Death News: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के बाहुबली गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात को बांदा के मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई. तबीयत बिगड़ने के बाद मुख्तार अंसारी को अस्पताल लाया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. एक समत मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ जेले में भी बंद रहा था. यहां से वो वापस नहीं जाना चाहता था. उसकी वजह से दो राज्यों की सरकारें भी आमने-सामने हो गई थीं.
दरअसल, मोहाली में एक बिल्डर से रंगदारी मामले में मुख्तार अंसारी को पंजाब पुलिस उत्तर प्रदेश से ट्रांजिट रिमांड पर पंजाब लाई थी. इसके बाद उसे रोपड़ जेले में शिफ्ट कर दिया गया. मुख्तार पंजाब की जेल में करीब 2 साल तक रहा. इस दौरान यूपी में उसके खिलाफ चल रहे मुकदमे अटक गए. यूपी पुलिस की तरफ से मुख्तार अंसारी की कस्टडी मांगी गई. यहां से एक नया नाटक शुरू हुआ. पंजाब की तरफ से मुख्तार अंसारी के लिए डॉक्टरों का पैनल बनाया गया और कहा गया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है.
इसके बाद मोहाली केस को कमजोर पड़ता देख 2014 में मुख्तार अंसारी के खिलाफ रोपड़ में हुए एक ब्लाइंड मर्डर का केस भी जोड़ा गया. पंजाब में मुख्तार की क्रिमिनल शीट को मजबूत करने के लिए ऐसा किया गया. यहीं नहीं ब्लाइंड मर्डर केस में एक गवाह भी लाया गया. तब तक यूपी पुलिस सारा खेल समझ गई थी और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. यूपी सरकार की दलीलों के बचाव में पंजाब सरकार मुख्तार में बचाव में खड़ी थी. फिर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मुख्तार अंसारी को यूपी पुलिस को सौंपने के लिए कहा गया. 6 अप्रैल 2021 को मुख्तार अंसारी को रोपड़ से बांदा जेल लाया गया.
सीएम मान ने कैप्टन पर लगाए गंभीर आरोप
बीते साल अप्रैल में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के पास मुख्तार अंसारी के वकीलों पर खर्च किए गए 55 लाख रुपये भुगतान की एक फाइल पहुंची थी. इसे उन्होंने वापस लौटा दिया था. सीएम मान की तरफ से कहा गया कि मुख्तार अंसारी को पंजाब में रखने से कोई हित नहीं होने वाला था, जो उसे पंजाब में रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकील से केस लड़वाया गया, जिसकी एक सुनवाई की फीस 11 लाख रुपये तय की गई.
सीएम मान ने साफ तौर पर कहा था कि यूपी के गैंगस्टर का केस लड़ने की 55 लाख रुपये फीस पंजाब के खजाने से नहीं दी जाएगी. ये पैसा उस समय के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से लिया जाएगा. वहीं अगर दोनों ये 55 लाख का भुगतान करने से मना करते तो उनकी पेंशन और सरकार लाभ रद्द किए जाएंगे.