Punjab News: कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू वो नाम है जो कुछ ही सालों में राजनीति की धुरंधरों में शामिल हो गया. क्रिकेट से सन्यास के बाद सिद्धू की राजनीति में एंट्री हुई तो वो यहां भी धुंआदार पारी खेलते नजर आये. लेकिन कहते है ना इंसान के दिन कभी एक जैसे नहीं होते, वो बदलते रहते है. कुछ ऐसे ही उतार-चढ़ाव सिद्धू के जीवन में भी आते रहे.
फिलहाल कई साल पुराने रोड रेज मामले में जेल की सजा काट रहे सिद्धू के जीवन में एक ऐसा भी दौर आया जब उन्हें ना चाहते हुए भी अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. पंजाब की राजनीति में एक अलग अहमियत रखने वाले सिद्धू ने अपने पद से तो इस्तीफा दिया लेकिन ना उसमें पार्टी का ज्रिक किया और ना ही कोई माफी मांगी..
‘क्यों देना पड़ा था इस्तीफा’
दरअसल, जब नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. उस समय पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा और मणिपुर में विधानसभा के चुनाव हुए थे. इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने एक बैठक बुलाई थी. बैठक के बाद एक्शन का दौर शुरू हुआ और जिन राज्यों में कांग्रेस की हार हुई थी उन सभी प्रदेशाध्यक्षों से इस्तीफा मांगा गया. ये इस्तीफा सोनिया गांधी की तरफ से मांगा गया था. जिसके बारे में कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला की तरफ से बताया गया कि सभी राज्यों के संगठन का पुनर्गठन किया जाएगा. इसलिए पीसीसी अध्यक्षों को पद छोड़ने के लिए कहा गया है.
‘17 शब्दों में दिया इस्तीफा’
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के निर्देश के बाद विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देखने वाले राज्यों के कांग्रेस अध्यक्षों को इस्तीफा देना पड़ा. इस दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी देते हुए सिर्फ 17 शब्दों लिखे. उन्होंने लिखा- कांग्रेस अध्यक्ष की इच्छा के मुताबिक मैं पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं. इस इस्तीफे में ना ही कही चुनाव में मिली हार का कोई जिक्र किया गया और ना ही हार की जिम्मेदारी ली गई.
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