Chandigarh News: मोगा में उपायुक्त कार्यालय के ऊपर खालिस्तानी झंडा फहराने के मामले में प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू के चंडीगढ़ के पॉश इलाके में स्थित घर पर मोहाली स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने नोटिस चस्पा किया है. मामले में पन्नू के खिलाफ 14 अगस्त 2020 को यूएपीए अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था. बाद में मामला एनआईए को स्थानांतरित कर दिया गया था. पन्नू को फरार घोषित किया गया है. उसके खिलाफ लुकआउट सकरुलर और गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है.
पन्नू के पास गांव में है करोड़ों की संपत्ति
पंजाब विश्वविद्यालय से कानून स्नातक पन्नू गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपों का सामना कर रहा है. वर्तमान में वह कनाडा के टोरंटो के बाहरी इलाके ओकविले में रह रहा है. मूल रूप से अमृतसर के बाहरी इलाके खानकोट गांव के निवासी पन्नू के पिता महिंदर सिंह पंजाब राज्य कृषि विपणन बोर्ड के पूर्व कर्मचारी थे. 1947 में बंटवारे के दौरान उनका परिवार पाकिस्तान से खानकोट चला आया था. पन्नू के पास गांव में कृषि भूमि सहित करोड़ों की संपत्ति है. वह कम ही गांव जाता था. वो अमेरिका और कनाडा में सार्वजनिक भवनों पर खालिस्तानी झंडा फहराने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करता रहता है. स्वंतत्रता दिवस पर पंजाब में युवाओं को खालिस्तानी झंडा फहराने के लिए प्रेरित करने वाला पन्नू विदेशों में अलगाववादी खालिस्तान एजेंडे को बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद भी करता रहता है.
2013 में सुर्खियों में आया था पन्नू
इस साल स्वतंत्रता दिवस से पहले पंजाब के कांग्रेस नेताओं ने उसके चंडीगढ़ स्थित आवास पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था. लुधियाना से कांग्रेस नेता गुरसिमरन सिंह मंड तिरंगा लेकर अपने समर्थकों के साथ पन्नू के घर के बाहर जमा हुए और 'हर घर तिरंगा अभियान' के तहत उसके घर के मुख्य द्वार पर तिरंगा लगाया था. गौरतलब है कि यह संगठन 2013 में तब सुर्खियों में आया, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ एक शिखर बैठक के लिए वाशिंगटन पहुंचने से पहले पन्नू की पहल पर तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ 1990 के दशक में पंजाब में आतंकवाद विरोधी अभियानों के सिलसिले में एक अमेरिकी अदालत से सम्मन जारी किया.
एसएफजे की पहल पर अदालत ने इससे पहले कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के लिए भी इसी तरह का समन जारी किया था. अगस्त 2018 में एसएफजे के सदस्यों ने लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर में खालिस्तान समर्थक रैली का आयोजन कर जनमत संग्रह 2020 की घोषणा की.
बतै दें 2019 में केंद्र ने अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने के आधर पर एफएसजे पर पाबंदी लगा दी थी.
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