Haryana News: रोहतक, झज्जर और महेंद्रगढ़ जिलों में कम से कम 17 प्राइवेट अस्पतालों ने अभी तक अपने परिसरों में ऑक्सीजन प्लांट्स स्थापित नहीं किए हैं, जबकि कोरोना के बढ़ते के मामलों ने राज्य भर में खतरे की घंटी बजा दी है. राज्य सरकार ने पिछले साल मई में, 50 से अधिक बिस्तरों वाले सभी अस्पतालों के लिए छह महीने के भीतर ऑक्सीजन प्लांट्स स्थापित करना अनिवार्य कर दिया था, ताकि पिछले साल अप्रैल में फैली दहशत की स्थिति को दोबारा होने से बचाया जा सके.
50 या इससे अधिक बिस्तर वाले हर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट होना अनिवार्य
17 अस्पतालों में से आठ रोहतक में, छह झज्जर में और तीन महेंद्रगढ़ में हैं. द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट (पंजीकरण एवं नियमन) अधिनियम के तहत 50 या इससे अधिक बिस्तर वाले हर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट होना अनिवार्य है. लेकिन अस्पताल जगह और धन की कमी के कारण इससे बचने की कोशिश करते हैं,
रोहतक में 20 जनवरी तक प्लांट्स स्थापित करने का आश्वासन दिया
कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी होने के साथ, स्वास्थ्य अधिकारी उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं. जसवंत पुनिया, जो कि रोहतक के सिविल सर्जन हैं ने बताया कि जिले में 50 से अधिक बिस्तरों वाले 13 प्राइवेट अस्पताल हैं. “पांच अस्पतालों में ऑक्सीजन की सुविधा है. हमने हाल ही में अन्य आठ अस्पतालों के प्रबंधन के साथ बैठक की और उनसे कार्रवाई से बचने के लिए प्लांट्स स्थापित करने को कहा, जो 20 जनवरी तक देने का आश्वासन दिया गया है.
झज्जर और महेंद्रगढ़ में भी यही स्थिति
झज्जर के सिविल सर्जन डॉ संजय दहिया ने कहा कि जिले के 11 प्राइवेट अस्पतालों में से पांच में यह सुविधा है, जबकि चार अन्य में प्लांट्स लगाने की प्रक्रिया चल रही है. महेंद्रगढ़ के सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार ने कहा कि दो अस्पतालों ने इसकी उच्च लागत का हवाला देते हुए सुविधा स्थापित करने में असमर्थता व्यक्त की. उन्होंने कहा, "हमने उन्हें प्लांट्स स्थापित करने का निर्देश दिया है क्योंकि यह अनिवार्य है."
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