Haryana News: नूंह जिले में मोबाइल इंटरनेट सुविधा 13 अगस्त तक बंद रहेगी. इससे पहले, नूंह हिंसा के बाद जिले में तीन बार इंटरनेट सेवा को बाधित करना पड़ा. अब चौथी बार इसे आगे बढ़ा गया है. 31 जुलाई की हिंसा के बाद इंटरनेट सेवा जिले में बंद की गई थी, जो चार अगस्त तक थी. इसे 8 अगस्त बढ़ा दिया गया था. बाद में जिला प्रशासन की ओर से निर्णय लिया गया था कि 11 अगस्त को पूरे जिले में इंटरनेट सेवाएं बाधित रहेंगी. अब लोगों को मोबाइल इंटरनेट के लिए 13 अगस्त तक इंतजार करना होगा.
सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि नूंह के डिप्टी कमिश्नर के मुताबिक जिले में अभी भी हालत गंभीर और तनावपूर्ण हैं. ऐसी परिस्थिति में किसी तरह की गलत सूचना को फैलने से रोकने लिए ये फैसला लिया गया है. हरियाणा के सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स से इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है.
उधर हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को हाई कोर्ट को सूचित किया कि उसने हिंसा प्रभावित नूंह जिले में विध्वंस अभियान चलाने से पहले पूरी प्रक्रिया का पालन किया और कहा कि यह जातीय नरसंहार का मामला नहीं है. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सोमवार को विध्वंस अभियान को रोकने का आदेश देते हुए कहा था ‘‘स्पष्ट रूप से बिना किसी विध्वंस आदेश और नोटिस के कानून-व्यवस्था की समस्या का इस्तेमाल कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किए बिना इमारतों को गिराने के लिए किया जा रहा है.’’ मामला शुक्रवार को सुनवाई के लिए आने पर सरकार ने अदालत को बताया कि ‘‘यह जातीय सफाए का मामला कतई नहीं है’’.
राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने अदालत परिसर के बाहर पत्रकारों से कहा, ‘‘हमने अदालत को अवगत कराया है कि यह जातीय सफाए का मामला नहीं है और सरकार कभी भी इस तरह से काम नहीं करती . हमारे (सरकार के) लिए सभी समान हैं. विध्वंस से पहले पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया था.’’
इस महीने की शुरुआत में नूंह में अधिकारियों ने ‘‘अवैध रूप से निर्मित’’ कई संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया था. यह कार्रवाई नूंह में भड़की और गुरुग्राम तक फैली सांप्रदायिक झड़पों में दो होम गार्ड और एक मौलवी सहित छह लोगों की मौत के बाद की गई. उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार को एक हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया था कि पिछले दो सप्ताह में नूंह और गुरुग्राम दोनों में कितनी इमारतें ध्वस्त की गई हैं और क्या विध्वंस से पहले कोई नोटिस जारी किया गया था? पीठ ने सोमवार को कहा था, ‘‘...मुद्दा यह भी उठता है कि क्या कानून-व्यवस्था की समस्या की आड़ में किसी विशेष समुदाय की इमारतों को गिराया जा रहा है और राज्य द्वारा जातीय सफाए की कवायद की जा रही है.’’