पंजाबी संस्कृति को पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली दिग्गज पंजाबी लोक गायक गुरमीत बावा (77) को मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है. गुरमीत बावा को 'लंबी हेक दी मल्लिका' के नाम से जाना जाता है. कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए मरोणपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित की गई बावा का पिछले साल 21 नवंबर को अमृतसर के एक अस्पताल में निधन हो गया था.
बावा को उनके 45 सेकंड के 'हेक’ के लिए जाना जाता है
दूरदर्शन (डीडी) पर परफॉर्म करने वाली पहली महिला कलाकारों में से एक बावा को उनके 45 सेकंड के 'हेक' (आलाप जो आमतौर पर गाने की शुरुआत में गाया जाता है) के लिए जाना जाता था, जिसे किसी भी पंजाबी लोक गायक द्वारा अब तक का सबसे लंबा हेक माना जाता है.बावा की बेटी, ग्लोरी बावा भी एक पंजाबी लोक गायिका हैं.
कोठे गांव में में हुआ था गुरमीत बावा का जन्म
पंजाब के गुरदासपुर जिले के कोठे गांव में 1944 में जन्मीं गुरमीत बावा पंजाब के लोक गीत ''जुगनी'' को गाकर पूरे देश में लोकप्रिय हुईं थीं. गुरमीत बावा को पंजाब सरकार द्वारा राज्य पुरस्कार, पंजाब नाटक अकादमी द्वारा संगीत पुरस्कार, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार और पंजाबी भाषा विभाग द्वारा शिरोमणि गायिका पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले थे. गुरमीत बावा के परिवार में उनके पति किरपाल बावा और दो बेटियां गायिका ग्लोरी बावा और सिमरन बावा हैं. उनकी तीसरी बेटी और लोक गायिका रहीं लची बावा की पिछले साल फरवरी में कैंसर से मौत हो गई थी.
गुरमीत बावा ने 1968 में अपने करियर की शुरुआत की थी
बावा ने अपने पति कृपाल बावा के साथ कई गीत गाए थे.गुरमीत बावा ने 'जुगनी' के अपने गायन के साथ पंजाबी संगीत की दुनिया में हलचल मचा दी थी. उन्होंने 1968 में अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्हें अल्गोज़, चिम्टा, ढोलकी और तुम्बी जैसे पंजाबी लोक वाद्ययंत्रों के साथ गाने के लिए जाना जाता था. वह उन संगीतकारों को विशेष श्रेय देती थीं जो उनके लिए वाद्य यंत्र बजाते थे.
गुरमीत ने विदेशों में कई म्यूजिक फेस्टिवल्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया था
गुरमीत बावा ने यूएसएसआर, जापान, लीबिया, सीरिया, मलेशिया, फ्रांस, थाईलैंड में कई म्यूजिक फेस्टिवल्स के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने 2003 में पाकिस्तान के लाहौर में भी प्रस्तुति दी थी. एक जापानी कंपनी ने ओसाका के एक स्टूडियो में उनकी आवाज रिकॉर्ड की थी और 1988 में इसे 'द लव एंड लाइफ इन पंजाब- गुरमीत बावा' टाइटल के साथ रिलीज किया था.उन्हें 1991 में पंजाब सरकार द्वारा 'स्टेट अवार्ड' से सम्मानित किया गया था.
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