Punjab: बादल परिवार से मिले कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू, प्रकाश सिंह बादल की मौत पर जताया शोक
Navjot Singh Sidhu News: कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू रविवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए बादल गांव पहुंचे.
Parkash Singh Badal Death: पंजाब (Punjab) के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन पर कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) रविवार को बादल परिवार के साथ शोक संवेदना व्यक्त करने गांव पहुंचे. इस दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbbir Singh Badal) और उनके परिवार के साथ दुख साझा किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि बादल परिवार के साथ मेरा रिश्ता एक खुला राज है, लेकिन जाने वालों से कोई दुश्मनी नहीं. उनकी आत्मा को सर्वशक्तिमान वाहेगुरु के चरण कमलों में विश्राम मिले. परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति मिलें.
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का 25 अप्रैल को निधन हो गया था. उनके नाम पर अंतिम प्रार्थना और श्रद्धांजलि समारोह 4 मई को होगा. प्रकाश सिंह बादल ने साल 1952 में सरपंच का चुनाव जीता था और इसी के साथ उन्होंने राजनीति में अपना पहला कदम रखा था. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1957 में, वह पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए. 1960 में भी उन्होंने जीत दर्ज की. इसके बाद 1969 में वे दोबारा पंजाब विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए.
1996 से 2008 तक अकाली दल के अध्यक्ष रहे बादल
प्रकाश सिंह बादल, गुरनाम सिंह की सरकार में सामुदायिक विकास, पंचायती राज, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री बने. वे 1996 से 2008 तक अकाली दल के अध्यक्ष रहे. उन्हें हमेशा पंजाब की राजनीति पसंद थी, इसलिए उन्होंने मोरारजी देसाई की सरकार में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का प्रभार सौंपे जाने के बाद केवल ढाई महीने में ही इस्तीफा दे दिया.
प्रकाश सिंह बादल 5 बार रहे पंजाब के मुख्यमंत्री
बादल को पंजाब की राजनीति का भीष्म पितामह कहा जाता था. वे न सिर्फ 5 बार मुख्यमंत्री रहे बल्कि 10 बार विधानसभा चुनाव भी जीत चुके थे.. यह सिलसिला 1957 से 1969 तक चलता रहा. 1992 में विधायक बनने से चूक गए क्योंकि उन्होंने चुनाव का बहिष्कार किया था. उन्होंने पहली बार 1970 में पंजाब के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इसके बाद 1977 में वे फिर राज्य के 19वें मुख्यमंत्री बने. फिर वे 20 साल बाद सत्ता में आए लेकिन उस समय उनकी सरकार बीजेपी के साथ गठबंधन में बनी थी.
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