पंजाब के मोहाली में पंजाब पुलिस की खुफिया शाखा पर ग्रेनेड हमले करने के आरोप में पुलिस ने दो युवकों को हिरासत में लिया है. वहीं पुलिस सीसीटीवी फुटेज की जांच से अभी तक हमलावरों का पता नहीं लगा पाई है. इस हमले को लेकर एक अधिकारी ने कहा कि ग्रेनेड 100 मीटर से फेंका जा सकता था, वहीं एनआईए, आईबी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने भी घटना स्थल का अनौपचारिक रूप से दौरा किया है. वहीं आतंकवाद रोधी विशेषज्ञ अधिकारियों ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी राज्य पुलिस कार्यालय पर हमले के लिए आरपीजी का इस्तेमाल किया गया है.


वहीं इस हमले को लेकर पुलिस गैंगस्टर से आतंकवादी बने हरविंदर सिंह उर्फ रिंडा की भूमिका की जांच कर रही है. इस घटना की जांच करने वाले अधिकारियों का मानना है कि इन आरोपियों को विदेश से काम करने वाले लोगों ने काम पर रखा था. रिंडा पाकिस्तान का रहने वाला है और वह फिरोजपुर-टू-तेलंगाना हथियार तस्करी मामले के अलावा नवांशहर पुलिस सीआईए कार्यालय विस्फोट मामले में भी वंछित बताया जा रहा है.


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इस घटना के बाद खुफिया कार्यालय खुला है लेकिन कर्मचारियों के लिए प्रवेश प्रतिबंधित है. एक अधिकारी ने कहा कि यह बड़ी बात है कि हमलावरों ने इस बार खुफिया मुख्यालय पर हमला करने की हिम्मत की है. इस घटना से जुड़ी एक रिपोर्ट के अनुसार जांच एजेंसियों को संदेह था कि हमले में दो लोग शामिल थे. द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार इस घटना की जांच करने वाली टीमों को संदेह है कि दोनों एक सफेद डिजायर कार में आए थे और वह इस बिल्डिंग को उड़ाना चाहते थे. हालांकि ग्रेनेड दीवार से टकराया जिसकी वजह से बिल्डिंग टकरा गई. इसकी आवाज इतनी तेज नहीं थी, इसी वजह से इमारत में तैनात अधिकारियों ने भी शुरू में इसे एलपीजी सिलेंडर विस्फोट माना.