(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
India Name Change Row : 'भारत' नाम पर सियासी घमासान, कुमारी शैलजा बोली- ‘आपका डर है या फिर INDIA के प्रति नफरत’
जी-20 के लिए रात्रिभोज निमंत्रण पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे जाने का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने कहा कि 141 करोड़ देशवासी एक स्वर में कहेंगे "I LOVE MY INDIA"
Haryana News: राष्ट्रपति भवन में होने वाले जी-20 डिनर के निमंत्रण में ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखने को लेकर शुरू हुआ राजनीतिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल पार्टियों के नेता बीजेपी पर हमलावर है. हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और छतीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा की भी इस मामले पर प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने एक ट्वीट कर लिखा कि INDIA से इतनी नफरत क्यों करते हैं मोदी जी, G20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण पत्र से "President of India" की जगह पर "President Of Bharat" क्यों⁉
‘आपका डर है या फिर INDIA के प्रति नफरत’
कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा का कहना है कि ये आपका डर है या फिर INDIA के प्रति नफरत. दो में से एक कारण तो निश्चित ही है या फिर दोनों कारण हो सकते हैं लेकिन यह कृत्य अकारण तो बिलकुल नहीं है. लेकिन एक बात याद रखिए, 141 करोड़ देशवासी एक स्वर में कहेंगे "I LOVE MY INDIA"
INDIA से इतनी नफरत क्यों करते हैं मोदी जी❓
— Kumari Selja (@Kumari_Selja) September 5, 2023 [/tw]
🔹G20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण पत्र से "President of India" की जगह पर "President Of Bharat" क्यों⁉
🔹ये आपका डर है या फिर INDIA के प्रति नफरत❓
🔹दो में से एक कारण तो निश्चित ही है या फिर दोनों कारण हो सकते हैं लेकिन यह कृत्य अकारण… pic.twitter.com/2g62IstZH0
‘कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी’
वही कुमारी शैलजा ने एक और ट्वीट कर लिखा कि WE, THE PEOPLE OF INDIA, यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहां से. अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशां हमारा. कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी. सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़मां हमारा.
‘केंद्र सरकार की असल मुद्दों पर चुप्पी और महत्वहीन चीजों पर मनमानी’
हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी ने जी-20 डिनर के निमंत्रण में ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखे जाने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि बीते 9 सालों में न जाने कितने शहरों के नाम बदले, जगहों के नाम बदले, योजनाओं ने नाम बदले। 2016 में नोट भी बदल दिए. कुछ हुआ? आम आदमी की जिंदगी में कुछ बेहतर हुआ? अब "INDIA" को "भारत" करने का हवाई मनसूबा पाल लिया. मनों पर लिखा नाम थोड़े मिट जाएगा? देश का नाम भावनाओं से जुड़ा है. भारत और INDIA दोनों ही नामों को लेकर 141 करोड़ देशवासियों के हृदय में एक समान देशभक्ति और गर्व की भावना है. केंद्र सरकार की असल मुद्दों पर चुप्पी और महत्वहीन चीजों पर मनमानी चल रही है.
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