Punjab News: पंजाब में पंचायतें भंग करने के मामले में प्रमुख सचिव स्तर के दो सीनियर आईएएस अधिकारियों को निलंबित किया गया था. जिसको लेकर अब पंजाब में राजनीति शुरू हो गई है.  शिरोमणी अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने भगवंत मान सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि पंचायतें भंग करने का निर्णय की फाइल पर खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान और पंचायती राज मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने साइन किए थे. आईएएस अधिकारियों को तो बलि का बकरा बनाया गया है. 


‘10 अगस्त को जारी हुआ था पंचायत भंग करने का आदेश’
अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने आगे कहा कि पंजाब की पंचायतें भंग करने के निर्णय की फाइल पर 7 अगस्त को सीएम मान और पंचायती राज मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर साइन किए थे. 10 अगस्त को राज्य की 13241 पंचायतें भंग करने का आदेश जारी किया गया था. पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पंचायतें भंग करने की नोटिफिकेशन जारी किया गया. इस मुद्दे पर फाइल को निदेशक, पंचायती राज और वित्तीय आयुक्त, विकास के पास दो दिनों के भीतर फाइलों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया, जिसके बाद पंचायती राज मंत्री और सीएम दोनों ने एक ही दिन फाइल पर हस्ताक्षर किए. 


SAD ने उठाया सवाल
शिरोमणि अकाली दल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को टैग करते हुए लिखा, ' सीएम मान, पंचायतें भंग करने के लिए आपके और मंत्री लालजीत भुल्लर के बराबर के हस्ताक्षर हैं. फिर कार्रवाई सिर्फ अफसरों पर क्यों?'



कांग्रेस ने नोटिफिकेशन वापस लेने का स्वागत किया
वहीं, पंजाब कांग्रेस ने आप सरकार द्वारा पंचायतों पर अधिसूचना वापस लेने को लोकतंत्र की जीत बताया है. विपक्ष के नेता प्रताप बाजवा ने कहा कि पहले ग्राम पंचायतों को भंग करके आप सरकार ने सरपंचों से उनके अधिकार जबरन छीन लिए थे.


‘अधिकारियों को बनाया बलि का बकरा’
बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को निलंबित कर उन्हें बलि का बकरा बनाने की कोशिश कर रही है. असली दोषी पंचायती राज मंत्री और मुख्यमंत्री हैं, जो पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट कर दिए जाने के बाद कि वह इस फैसले को रद्द करने जा रहे हैं, पीछे हट गए. 


‘लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार’
अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने आगे कहा कि सभी तथ्यों पर विचार करने पर यह स्पष्ट है. मंत्री लालजीत भुल्लर और सीएम भगवंत मान पंचायत निधि हड़पने के उद्देश्य से लिए गए इस तानाशाही फैसले के जरिए लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं. आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को उन्हें तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए. 


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