Haryana News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने पंजाब और हरियाणा में बढ़ते वायु और भूमि प्रदूषण के अलावा गिरते भू-जल स्तर पर चिंता जताई है. उन्होंने मंगलवार को एनआईटी कुरुक्षेत्र से समस्या का तकनीकी समाधान निकालने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी केवल विज्ञान एवं इंजीनियरिंग का प्रतिफल नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक एवं राजनीतिक महत्व भी है और हमें ‘सामाजिक न्याय के लिये प्रौद्योगिकी’ की सोच के साथ आगे बढ़ना होगा.


राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), कुरुक्षेत्र के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारे संविधान में सभी नागरिकों के लिए कुछ मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से एक ‘वैज्ञानिक सोच एवं सुधार की भावना को विकसित करना’ है.’’


'जागरूक समाज के निर्माण में योगदान देना सभी का कर्तव्य'


उन्होंने कहा कि ऐसे में जागरूक समाज के निर्माण में अपना योगदान देना सभी का कर्तव्य है. मुर्मू ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी केवल विज्ञान एवं इंजीनियरिंग का प्रतिफल नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक एवं राजनीतिक संदर्भ भी होता है. हम सबको ‘सामाजिक न्याय के लिये प्रौद्योगिकी’ की सोच के साथ आगे बढ़ना होगा.’’ राष्ट्रपति ने कहा कि महामारी के दौरान स्पष्ट हो गया कि भारत का आम नागरिक प्रौद्योगिकी को लेकर सहज है और डिजिटल भुगतान की सफलता इसका उदाहरण है. उन्होंने कहा कि अगर प्रौद्योगिकी समाज की भलाई के लिये है, तो उसे जनता का भरपूर सहयोग मिलता है.


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वायु, भूमि प्रदूषण और गिरते जल स्तर पर राष्ट्रपति ने जताई चिंता


उन्होंने कहा कि हरियाणा और पंजाब का भारतीय कृषि के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन आज इस क्षेत्र में बढ़ता वायु, भूमि प्रदूषण और भू-जल का गिरता स्तर, एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है. राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी की वजह से हो रहे बदलावों के कारण बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि एनआईटी कुरुक्षेत्र सहित हमारे प्रौद्योगिकी संस्थान भविष्य के लिये तैयार बनें. उन्होंने कहा कि पिछले छह दशकों में, देश और विदेश में उच्च-शिक्षा के तकनीकी संस्थानों के बीच, एनआईटी कुरुक्षेत्र ने एक खास पहचान बनाई है और संस्थान के छात्रों ने सिंगापुर से लेकर सिलिकन वैली तक, नागरिक समाज से लेकर लोक सेवाओं तक सभी क्षेत्रों में अपना स्थान बनाया है.