Waris Punjab De: 'अवैध हिरासत में भगोड़े अमृतपाल के साथी', वकील के दावे पर HC ने लगाई फटकार, कह दी ये बड़ी बात
Amritpal Singh News: अमृतपाल और उसके साथियों की रिहाई के लिए लगाई गई याचिका पर हाईकोर्ट ने वकील को फटकार लगाई है. कोर्ट का कहना है कि जिन लोगों पर एनएसए लगाया गया है उनकी हिरासत अवैध कैसे हो सकती है.
Punjab News: खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह के सहयोगी अभी असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद हैं. उनकी रिहाई की मांग को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट इमान सिंह खारा की तरफ से याचिका लगाई गई. इस पर हाईकोर्ट के जस्टिस ने एडवोकेट खारा को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसे मामलों की सुनवाई क्यों की जाए, जिसमें आरोपियों पर पहले ही नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाकर उन्हें असम जेल में बंद किया गया हो. इतना ही नहीं, एडवोकेट को डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल की महिला सुपरिटेंडेंट को याचिका में प्रतिवादी बनाए जाने पर जस्टिस ने कड़ी बातें कहीं.
रिहाई की मांग को लेकर लगाई याचिका
एडवोकेट इमान सिंह खारा ने 6 लोगों की अवैध हिरासत का दावा करते हुए उनकी रिहाई की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. अमृतपाल सिंह के साथी बलवंत सिंह उर्फ प्रधानमंत्री बाजेके सहित छह लोगों की रिहाई की मांग की गई थी. जिसपर हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया कि जिन लोगों पर एनएसए लगाया गया है उनकी हिरासत अवैध कैसे हो सकती है. वहीं एडवोकेट खारा की तरफ से जब कहा गया कि वो डिब्रूगढ़ जेल में बंद लोगों से मिलना चाहते है इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि वो मजिस्ट्रेट के पास जाकर ये मांग कर सकते है या फिर असम हाईकोर्ट जा सकते है. यहां उनकी याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है. जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने अमृतपाल की रिहाई को लेकर विचाराधीन याचिका के साथ ही 11 अप्रैल के लिए सुनवाई तय की है.
जेल सुपरिटेंडेंट को बनाया था प्रतिवाद
वही डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल की महिला सुपरिटेंडेंट सराबाना सोनोवाल को याचिका में प्रतिवादी बनाए जाने पर हाईकोर्ट ने कहा कि उन्हें प्रतिवादी क्यों बनाया गया है जब उनके खिलाफ कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं है. कोर्ट ने जेल सुपरिंटेंडेंट को केस में प्रतिवादी बनाए जाने से हटा दिया है. वहीं हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई को लेकर कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों को अवैध हिरासत का दावा किया जा रहा है, जिन छुड़ाने के लिए याचिका लगाई जा रही है उनपर लगे आरोपों के बारे क्यों याचिका में कुछ बताया नहीं गया है. ऐसे में इस याचिका पर कैसे सुनवाई की जा सकती है.
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