पंजाब लोकसभा के चुनाव अगले साल होने हैं. इस चुनाव के लिए बीजेपी के प्रचार अभियान की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए साल में एक बड़ी रैली से करेंगे. प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश की तरह पंजाब में भी बड़ी परियोजनाओं की घोषणा कर सकते हैं. पंजाब में घोषित किए जानी वाली परियोजनाएं और उसके लाभार्थियों की जानकारी तैयार की जा रही है. इन्हीं परियोजनाओं के आधार पर पार्टी वोटरों से वोट मांगेगी. पंजाब में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए बीजेपी एक नया नारा देने की तैयारी कर रही है. यह 'नवा पंजाब, बीजेपी दे नाल' हो सकता है.


पंजाब के लिए बीजेपी की क्या है तैयारी


बीजेपी के एक बड़े नेता ने एनडीटीवी को बताया कि पंजाब में अगली सरकार बीजेपी के बिना नहीं बननी चाहिए. दशकों पुराने सहयोगी अकाली दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढिंढसा की पार्टी से गठबंधन कर रही है. बीजेपी की कोशिश इस गठबंधन में सबसे बड़ा दल बनने की है.  


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बीजेपी पंजाब विधानसभा की 117 में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. अकाली दल के साथ गठबंधन में बीजेपी 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी. वह कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी को 30-35 और ढिंढसा को 15 सीटें दे सकती है. 


बीजेपी को पंजाब से उम्मीद


कांग्रेस से निकलने के बाद अमरिंदर सिंह ने बीते महीने पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली थी. उन्होंने बीते हफ्ते कहा था कि गठबंधन हो चुका है. लेकिन सीट शेयरिंग पर अभी बातचीत जारी है. दोनों दलों ने गठबंधन की घोषणा से पहले 9 दौर की बातचीत की है.


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बीजेपी का मानना है कि कृषि कानूनों की वापसी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद पंजाब में उसका वोट बढ़ा है. इन कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली के बाहर करीब 15 महीने तक धरना दिया था. बीजेपी का अनुमान है कि किसान वोटों का बंटवारा होगा और इसमें कांग्रेस को सबसे अधिक घाटा होगा. कृषि कानूनों की वापसी के बाद पंजाब में हालात बदल गए हैं और अब बीजेपी नेताओं को लोगों के विरोध का सामना नहीं करना पड़ रहा है. 


पंजाब में बीजेपी को अबतक शहरी और हिंदू मतदाताओं की पार्टी माना जाता था. लेकिन अमरिंदर सिंह और सुखदेव ढिंढसा के साथ आने से उसे सिखों में भी समर्थन मिलने की उम्मीद है.