पंजाब के 22 किसान संगठनों ने संयुक्त समाज मोर्चा के नाम से अपना राजनीतिक संगठन बनाया है. भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) गुट के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल इसका चेहरा होंगे. यह राजनीतिक संगठन पंजाब विधानसभा की सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगा. जिन संगठनों ने यह मोर्चा बनाया है वो संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल थे. इसी मोर्चे ने नरेंद्र मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन का नेतृत्व किया. अब 78 साल के हो चुके राजेवाल किसान आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा थे. उनका संगठन बीकेयू (राजेवाल) किसान आंदोलन में तेजी से लोकप्रिय हुआ. प्रखर वक्ता और राजनीतिक सूझबूझ रखने वाले राजेवाल 1970 के दशक से किसान राजनीति में सक्रिय हैं. 


स्कूली बच्चों के लिए 'सच की दुकान'


करीब 60 एकड़ खेत और दो राइस मिलों के मालिक बलबीर सिंह राजेवाल लुधियाना के राजेवाल गांव के निवासी हैं. राजेवाल 1970 के दशक के शुरूआती सालों में ही पंजाब खेती-बाड़ी यूनियन से जुड़ गए थे. वो 1974 से 1988 तक भारतीय किसान यूनियन के लाखोवाल गुट के साथ रहे. बाद में मान गुट से जुड़ गए. उन्होंने 2001 में बीकेयू (राजेवाल) की स्थापना की.  


Piyush Jain Arrested: GST इंटेलिजेंस ने इत्र कारोबारी पीयूष जैन को किया गिरफ्तार, घर से मिले 257 करोड़ कैश


राजेवाल अपने गांव में एक स्कूल और एक कॉलेज चलवाते हैं. उन्होंने स्कूली छात्रों के लिए 'सच की दुकान' नाम से एक दुकान भी खोल रखी है. यह एक ऐसी दुकान है, जिसपर कोई दुकानदार नहीं होता. दुकान से बच्चे अपनी जरूरत का सामान ले जाते हैं औरर उन्हें जितना समझ आता है, उतना पैसा वहां रखे बॉक्स में डाल जाते हैं.राजेवाल पंजाब टेलीफोन डिपार्टमेंट में काम कर चुके हैं. वो लुधियाना की खन्ना मंडी में आढ़ती भी थे. लेकिन कई साल पहले उन्होंने इससे खुद को अलग कर लिया था. 


बीकेयू (राजेवाल) के महासचिव ओंकार सिंह औगर ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया,'' सरकार ने 1974 में दूसरे राज्यों में गेहूं बेचने पर पाबंदी लगा दी थी. इसके खिलाफ किसानों ने आंदोलन किया था. राजेवाल इस आंदोलन में शामिल थे. वो जेल भी गए थे.'' ओंकार पिछले 3 दशक से राजेवाल के साथ हैं.  


किसान आंदोलन में मजबूत हुआ बीकेयू (राजेवाल) गुट


राजेवाल का संगठन पटियाला, संगरूर, मोहाली, लुधियाना, कपूरथला, होशियारपुर, फीरोजपुर, नवाशहर, जलंधर और मालवा के इलाके के कुछ जिलों में सक्रिय है. पिछले साल किसान आंदोलन शुरू होने से पहले तक इसका कोई बहुत मजबूत सांगठनिक ढांचा नहीं था. लेकिन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान इसने खुद को काफी मजबूत किया. इसके कार्यकर्ता आंदोलन के फ्रंट पर थे. नेताओं खासकर बीजेपी और अकाली नेताओं के घेराव में इसके कार्यकर्ता शामिल थे. इसने राजेवाल के उभार में मदद की. 


पूरा परिवार है किसान राजनीति में


ओंकार सिंह बताते हैं कि राजेवाल का पूरा परिवार दशकों से किसान आंदोलन में सक्रिय है. इस वजह से उनके पिता, भाई और भाभी को जेल तक जाना पड़ा है. इससे पहले राजेवाल कांग्रेस, शिरोमणी अकाली दल और आम आदमी पार्टी के करीब रह चुके हैं. राजेवाल ने 2002 में कांग्रेस सरकार का समर्थन किया था. लेकिन जब सरकार ने किसानों को धान की खेती में हुए नुकसान की भरपाई के लिए 110 करोड़ रुपये नहीं दिए तो उन्होंने आंदोलन छेड़ दिया. वहीं कुछ साल पहले प्रकाश सिंह बादल ने राजेवाल को समराला विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन उन्होंने इसे विनम्रता से अस्वीकार कर दिया था. वहीं 2017 के चुनाव से पहले राजेवाल आप के समर्थन में थे. लेकिन बाद में उन्होंने कांग्रेसी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का समर्थन शुरू कर दिया. खबरों के मुताबिक आप अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में राजेवाल को अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाना चाहती थी. लेकिन किसान संगठनों के दबाव में उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. 


PM Modi in Kanpur: 28 दिसंबर को पीएम मोदी करेंगे कानपुर मेट्रो का उद्घाटन, IIT के दीक्षांत समारोह में भी होंगे शामिल


हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कुछ महीने पहले अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की थी. राजेवाल इसके विरोध में उतर आए थे. चढ़ूनी ने अभी हाल ही में अपनी पार्टी बनाकर पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा की है. वहीं अब राजनीतिक कदम उठाते हुए राजेवाल भी चुनावी अखाड़े में ताल ठोकने के लिए तैयार हैं.