नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार की ओर से तीनों की कृषि कानून वापस लिए जाने और किसानों के साथ हुए समझौते के बाद से संयुक्त किसान मोर्चा (SKM)के हौसले बुलंद हैं. एक साल से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन (Farmer Protest) का नेतृत्व इसी मोर्चे ने किया. इसमें पंजाब के किसानों के 32 संगठन शामिल थे. अब इस मोर्चे में शामिल किसानों के संगठन अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) में अपनी पार्टी बनाकर उतरने का मन बना रहे हैं. 


बैठक में कितने संगठन बुलाए गए थे?


पंजाब के 32 में से 22 किसान संगठनों के पदाधिकारियों ने गुरुवार को लुधियान में एक अज्ञात जगह पर बैठक की. इनमें शामिल किसान संगठनों का मानना था कि किसानों का हित किसी भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से बड़ा है. इसलिए उन्हें अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी राजनीतिक दल का पिछलग्गू नहीं बनना चाहिए. 


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बैठक में 32 में से 25 संगठनों को आमंत्रित किया गया था. क्रांतिकारी किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी, आजाद किसान कमेटी दोआब, भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर, लोक भलाई वेलफेयर इंसाफ कमेटी, गण संघर्ष कमेटी दुसाया और जन किसान आंदोलन को बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था. वहीं 3 संगठन अपनी पूर्व प्रतिबद्धताओं और स्वागत समारोह में शामिल होने की वजह से बैठक में शामिल नहीं हुए. 


बैठक में किन विषयों पर हुई चर्चा


जिन संगठनों को इस बैठक में नहीं बुलाया गया था, उन्होंने अपनी अलग से एक बैठक की. भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के जगजीत सिंह डालेवाल ने 'ट्रिब्यून' अखबार को बताया कि यह बैठक राजनीतिक हालात पर चर्चा करने या किसी राजनीतिक दल को समर्थन देने के लिए नहीं बुलाई गई थी. उन्होंने बताया कि बैठक में शुक्रवार को अमृतसर में हरमिंदर सिंह साहब तक निकाले जाने वाले जुलूस पर चर्चा हुई.


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वहीं सूत्रों ने बताया कि 22 किसान संगठनों की बैठक में अगले महीने  सरकार के साथ एमएसपी पर होने वाली एसकेएम प्रतिनिधियों की बैठक और विधानसभा चुनाव में किसान संगठनों की भूमिका पर भी चर्चा हुई. बैठक बलबीर सिंह राजेवाल ने बुलाई थी. इस बैठक में शामिल एक किसान नेता ने अखबार को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अधिकांश नेताओं की राय थी कि किसान संगठनों को राजनीतिक दलों को समर्थन नहीं देना चाहिए. उनका मानना था कि जनता राजनीतिक दलों के वादों को पूरा न करने की आदत और कुशासन से तंग आ चुकी है.  


संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल पंजाब के सभी 32 संगठनों की एक बैठक 18 दिसंबर को लुधियाना के मुलानपुर में बुलाई गई है. इसमें आपसी विवादों के समाधान और किसान यूनियनों की राजनीति पर चर्चा होगी.