Punjab: दवाओं पर मुनाफे की मार्जिन होगी तय, पंजाब विधानसभा में पारित हुआ प्रस्ताव
Punjab Assembly: पंजाब विधानसभा में दवाओं पर मुनाफा की सीमा तय करने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया और इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाने की सिफारिश की गई. सदन में इस पर सत्तापक्ष और विपक्ष एकजुट था.
Punjab Assembly Budget Session: पंजाब विधानसभा ने गुरुवार (9 मार्च) को एक प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार से निजी कंपनियों की ओर से ली जाने वाली दवाओं पर मुनाफा सीमा तय करने की सिफारिश की. विधानसभा के दोनों पक्षों के राजनेताओं ने राज्य को केंद्र के समक्ष अत्यधिक कीमत वाली दवाओं के जरिए लोगों से की जा रही 'लूट' के मुद्दे को उठाने की सिफारिश की. पंजाब विधानसभा के चल रहे बजट सत्र में इस मामले को उठाते हुए कुछ सदस्यों ने दवाओं पर लाभ मार्जिन को सीमित करने का सुझाव दिया, जबकि कई अन्य ने राज्य में सरकारी स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने की मांग की. इनमें मुख्य रूप से विपक्ष के सदस्य शामिल थे.
'दवाओं की अत्यधिक कीमत लोगों के पैसे लूट रही'
सदन में प्रस्ताव पेश करने के दौरान चमकौर साहिब से आप विधायक डॉ चरणजीत सिंह ने कहा कि दवाओं की अत्यधिक कीमत लोगों के पैसे लूट रही है, जिससे महंगी दवाएं खरीदने के लिए कई लोग अपनी संपत्तियों को बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं. सिंह ने कहा कि न केवल केमिस्ट बल्कि कई जाने-माने निजी अस्पताल एमआरपी से अधिक कीमत पर दवाएं बेच रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह मामला केवल पंजाब का नहीं बल्कि पूरे देश को दुख दे रहा है.
सरकारी डॉक्टर नहीं कर रहे जेनेरिक दवाओं की सिफारिश
डॉ चरणजीत सिंह ने कहा कि सरकारी डॉक्टर जेनेरिक दवाओं की सिफारिश नहीं कर रहे हैं और सरकार से रोगियों को जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए उन्हें बाध्य करने का आग्रह किया. उन्होंने आगे कहा कि यह भी अनिवार्य किया जाना चाहिए कि किसी दवा कंपनी का उल्लेख किए बिना केवल दवाओं का रसायन निर्धारित किया जाना चाहिए. यह कहते हुए विधायको ने केंद्र से कदाचार पर रोक लगाने के लिए इस संबंध में एक ठोस नीति बनाने की मांग की. कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने कहा कि निजी क्षेत्र का स्वास्थ्य सेवा लोगों को बुरी तरह से लूट रहा है. उन्होंने निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के नियमन की मांग करते हुए कहा कि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग महंगी स्वास्थ्य सेवाओं के कारण आर्थिक बोझ ढो रहे हैं, ये आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रहा है. कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह मीत हायर ने सुझाव दिया कि दवाओं पर मुनाफे की सीमा तय की जानी चाहिए.
मंत्री ने लगाया ई-फार्मेसी क्षेत्र पर कदाचार में लिप्त होने का आरोप
उन्होंने कहा कि महंगी चिकित्सा शिक्षा भी महंगे चिकित्सा उपचार के कारणों में से एक है और सुझाव दिया कि एक नीति होनी चाहिए जिसके तहत सरकारी कॉलेजों में कुछ प्रतिशत मेडिकल सीटें या तो मुफ्त या कम शुल्क पर दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे न केवल गरीब छात्रों को चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं में सरकारी डॉक्टरों की कमी की समस्या का भी समाधान होगा. चर्चा में भाग लेते हुए पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ बलबीर सिंह ने ई-फार्मेसी क्षेत्र पर कदाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से इसे नियंत्रित करने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि राज्य में 25 'जन औषधि' केंद्र हैं और ऐसे 16 और केंद्र खोलने की मंजूरी दी गई है. मंत्री ने विधायकों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसे और केंद्र खोलने की अनुमति दें. उन्होंने आगे कहा कि आप सरकार राज्य के लोगों को विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि 500 आम आदमी क्लीनिक में से 70 प्रतिशत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में खोले गए हैं.
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